1. Small Kids Story In Hindi
क्या आपको अपने बच्चों के लिए Small Kids Story In Hindi तलाश है? बिलकुल आप सही जगह पर आएं है! ये सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि उसके साथ सिख भी है।
एक ज़माने की बात है, पेड़ में से एक चींटी, तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उस चींटी को अपना ज़िन्दगी बचाने के लिए, जी-तोड़ कोशिश करते हुए देखा।
फिर उस कबूतर ने एक पत्ते को तोड़ा, फिर चींटी के पास तालाब में फेंक दिया। चींटी फौरन पत्ते पर चढ़ गई, फिर सिटी ने उस कबूतर का शुक्रिया अदा किया।
वह चींटी बहुत थक गई थी, तो उसने पत्ते पर ही आराम किया। कुछ हफ्ते बाद की बात है, एक बहेलिआ जंगल में आया, बहेलियों का तो काम ही होता है, पक्षियों को पकड़ना। उस बहेली ने कुछ दान जमीन पर फेंका और उसके ऊपर अपना जाल बिछा दिया।
वो चुप-चाप किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था। वह चींटी जो वहीं कहीं से गुजर रही थी, उसने जब यह सारा मंजर देखा तो वह क्या देखती है कि वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी, उस जाल में फंसने के लिए धीरे-धीरे नीचे उतर रही थी।
फिर क्या, चींटी ने आगे बढ़कर बहेली के पैर पर इतनी बुरी तरह काटा, की बहेली के मुंह से चीख निकल गई। बहेली जैसे ही जोर-जोर से चिल्लाने लगा, तो कबूतर ने एकदम से देखा कि शोर किस तरफ से आ रहा है!
कबूतर ने जब पहली को देखा तो उसके समझ में सब कुछ आ गया। फिर वह कबूतर दूसरी दिशा में उड़ गई और उसकी जान बच गई। चींटी भी अपने काम पर लग गई।
सिख: तभी तो कहते हैं, कर भला सो हो भला!
2. कछुआ और खरगोश – Small Kids Story In Hindi
एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश को बड़ा घमंड था कि वह बहुत तेज दौड़ सकता है। वह कछुए के धीमी चाल को देखकर बहुत हंसता था और खिल्ली उड़ाता था।
ऐसे में एक दिन खरगोश ने कहा ” कछुआ भाई साहब! क्या आप मेरे साथ दौड़ लगाएंगे? ” फिर कछुए ने कहा “क्यों नहीं!” फिर खरगोश ने कहा कि ” हम दोनों में से कोई भी जीतेगा तो उसको बहुत बड़ा इनाम मिलेगा। ” कछुआ ने कहा “चलो! ऐसा ही सही!”
इस दौड़ को देखने के लिए वहां के सभी जानवर बहुत ही एक्साइटमेंट के साथ आकर पहुंच गए। फिर खरगोश कछुए से बोलता है कि ” हम दोनों में से कोई भी सबसे पहले उस पहाड़ी तक पहुंच गया तो समझलो वो जीत गया। “
कछुआ कहता है “ठीक है!” फिर दोनों दौड़ के लिए तैयारी करते हैं, और फिर दौड़ शुरू हो जाती है। फिर क्या? खरगोश तेजी स दौड़ना शुरू करदेता है।
और कछुआ, धीरे-धीरे चलता है। खरगोश और तेज दौड़ने लगा, लेकिन कछुआ वही धीरे-धीरे चलता रहा। इस तरह थोड़ी दूर जाने के बाद, खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, उसे कछुआ कहीं दिखाई नहीं दिया।
फिर खरगोश ने सोचा: ” ये कछुआ अभी तो नहीं आने वाला, चलो थोड़ी देर आराम ही कर लेते हैं। ” यह कहकर वह खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगता है और आराम करते-करते खरगोश की आंख लग जाती है।
कछुआ धीरे-धीरे चलते-चलते खरगोश के पास पहुंचा और चुपके से, बिना बिना आवाज़ किये आगे निकल गया। फिर जब कुछ देर बाद खरगोश की आंख खुली, वह उठकर जल्दी-जल्दी पहाड़ की तरफ दौड़ने लगा।
फिर क्या देखा है कि सारे जानवर कछुए के साथ खड़े हैं और कछुआ पहले पहुंच चुका है। वहां पहुंचकर कछुए को देखा और कहा ” दोस्त तुम ही जीते, मुझे माफ़ करो! “
इस कहानी से सीख: घमंड करने वाले का सर हमेशा नीचे होता है!
आपको ये दो Small Kids Story In Hindi केसी लगी? कमेंट करके जरूर बताईये!
3. काला कबूतर – Small Kids Story In Hindi
कबूतरी मंजरी, आज बड़ी बेसब्री से अपने अंडों को निहार रही थी। उसे नन्हे मुन्ने बच्चों का इंतजार था! एक रंजन तोता भी पास में बैठकर मंजरी की खुशी को परख रहा था। एक अंडा फूट गया और एक सुंदर बच्ची बाहर आ गई।
मंजरी कबूतरी: आओ आओ गुड़िया! तुम्हारा स्वागत है, बड़ी प्यारी तुम्हारी रंगत है! कुछ देर बाद दूसरा अंडा भी फूटा और उस में से एक दुबला-पतला और काले रंग का एक बच्चा बाहर आ गया।
मंजरी को भी आश्चर्य हुआ! लेकिन मां के लिए सब बच्चे प्यारे होते हैं। मंजरी कबूतरी: आओ आओ राजा! तुम्हारा स्वागत है, पहले बहन आई फिर भाई को लाई। तोता: मंजरी बहन! खुशी की घड़ी आई है, बधाई हो बधाई!
कबूतरी: दिल से धन्यवाद भाई! इतने मैं कबूतर गोगा भी आ गया, बच्चों को देखकर तो वो बहुत खुश हो गया! लेकिन बच्चों के काले रंग और कमजोरी को देखकर वह मुंह पिचकाने लगा।
गोगा कबूतर: अरे मंजूरी! यह काला कमजोर बच्चा कहां से ले आई? कबूतरी: आप ये क्या कह रहे हो, यह सावंला- सवेरा हमारा ही बेटा है! खबरदार जो इसके बारे में ऐसी वैसी बात कही। इसका नाम मेने राजा रखा है।
गोगा कबूतर: अरे मंजूरी! हम दोनों कैसे हैं और यह कैसा है, मुझे समझ में नहीं आ रहा है ऐसा क्यों है। कबूतरी: क्या हुआ?जो भी है, जैसा भी है! हमारा अपना बेटा है। इसके मुखड़े की बनावट मुझे बहुत अच्छी लगती है।
कबूतरी: यह बड़ा होकर बहुत ही अच्छा कबूतर बनेगा! इसकी चोंच भी बहुत प्यारी है। गोगा कबूतर: तुम्हारी सोच बड़ी प्यारी है, मां की सोच ऐसे ही होती है। उसे अपने बच्चे सबसे ज्यादा प्यारे लगते हैं।
मंजरी कबूतरी ने बड़े प्यार से दोनों बच्चों को पालन शुरू कर दिया। दोनों बच्चे कुछ बड़े हो गए थे और आस-पास के चिड़िया के बच्चों से घुलना-मिलना चाहते थे। दूसरे पक्षी राजा को बड़ी हेरत भरी नज़रों से देखने लगे और मजाक उड़ाने लगे।
पक्षी: बहना कितनी सुंदर है, भाई पूरा बंदर है! पतलू पहलवान घर में बैठा करो, बाहर चलोगे तो गिर जाओगे और धूप में काला जामुन नजर आओगे।
गुड़िया: मेरे राजा भैया को कुछ ना कहो, वो तुम सबसे अच्छा है। पक्षी: वाह रे राजा भईया! दिखे टूटा दरवाजा और नाम रख दिया राजा। गुड़िया: चलो राजा भईया! यहां से चलो यहां सब हमारी कदर नहीं जानेंगे।
अब हम उनके साथ कभी नहीं खेलेंगे। राजा को उनकी बातों से बड़ा दुख हुआ था। लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाया था, वह अपनी बहन गुड़िया के साथ वहां से चल पड़ा। पर वो जानता था कि उसकी बहन उसे बहुत प्यार करती है।
इसलिए वह उसकी तरफदारी करती है। राजा जीस पेड़ पर रहता था, उस पेड़ के पक्षी भी उसका मजाक उड़ाते थे। यहां तक की एक दिन एक कौवे में भी उसका दिल दुखाया। राजा पेड़ पर से उड़ा और कमजोरी के कारण बीच में ही थक गया, लौटकर फिर पेड़ पर आ गया।
कव्वा: अरे राजा! तुम पेड़ से ज्यादादूर मत जाया करो! तुम शक्ल सूरत से हमारी बिरादरी के लगते हो, हमारी टोली में शामिल हो जाओ। एक बात है की कमजोर हड्डी वाले पक्षी हो तुम्हें हमारे दल में पीछे रहना होगा।
ज्यादा मेहनत का काम नहीं कर पाओगे और ठीक से उड़ भी नहीं पाओगे। राजा को बहुत दुख हुआ और अपने आप पर उसे गुस्सा भी आया। वह वहां से दूर जाकर एक झाड़ी में बैठ गया और वह अपने आप से बातें करने लगा।
राजा: भगवान मुझे इतना कमजोर और काला क्यों बनाया? कोई मुझे पसंद नहीं करता, मेरे साथ कोई खेलने नहीं चाहता। भगवान ने मुझे दुनिया में क्यों ही भेजा, में पैदा होते ही मर क्यों नहीं गया!
जब बहुत देर तक राजा पेड़ पर नहीं लौटा, तब उसकी मां कबूतरी मंजरी ने गोगा कबूतर को भी बताया और दोनों अलग-अलग दिशा में अपने बेटे को ढूंढने के लिए चल पड़े। कबूतरी मंजरी मन ही मन सोच रही थी कि ” उसका बेटा तो आसपास के जंगल की दिशाएं भी नहीं जानता, वो न जाने कहां चला गया? “
फिर भी वह उड़ते हुए थक नहीं रहा था, वह एक पेड़ पर बैठ गया। उसी पेड़ पर कुछ मोर पक्षी भी बैठे थे। उनेह देख कर वो डर गया! राजा: यह सभी मोर कितने सुंदर दिख रहे हैं! मुझे इनके बीच में नहीं जाना चाहिए, सभी मेरा मजाक उड़ाएंगे।
मुझे बहुत भूख लगी है और प्यास भी लगी है, क्या मुझे घर लौटना चाहिए? मैं तो बहुत दूर आ चुका हूं, रास्ता भटक चुका हूं। हे भगवान! क्या करूं मैं? एक मा ने राजा को देख लिया! और वो उसके पास आ गया।
राजा मोर को देख कर छुपने लगा। मोर: बेटा तुम्हारा नाम क्या है? राजा हकलाते हुए बोला: मेरा नाम राजा है! मैं रास्ता भटक गया हूं। मैं चला जाऊंगा, मेरा मजाक मत उड़ाईये। मोर: बेटा तुम क्यों छुप रहे हो? सामने आओ! राजा: आप लोग मुझे मारेंगे तो नहीं?
मोर: बेटा डरो नहीं! हम तुम्हें क्यों मारेंगे? तुम्हें बहुत भूख लगी होगी ना, आओ खाना खा लो। तुम किसी बात की चिंता मत करो। मोर काका की बातों ने राजा के अंदर खुशियां भर दी और उसका डर भाग चुका था।
उसे खाना दिया गया और वह बड़े प्यार से खाने लगा। उसने अपने साथ हुई सारी घटनाओं के बारे में मोर काका को बताया। फिर मोर काका ने बैद्यराज लाल तोता को बुलाया, फिर लाल तोता ने राजा की पूरी जांच की।
लाल तोता: इस बच्चे को जन्म से ही एक बीमारी है! जिसके वजह से इसका रंग काला हो गया और इसी बीमारी के वजह से यह कमजोर भी है। इस बीमारी का कठिन इलाज है। मोर: आपके इलाज से यह ठीक तो हो जाएगा ना? कृपया करके इसका इलाज कर दीजिए।
लाल तोता: मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा! कई दिन तक इसका इलाज चलेगा। बच्चे चिंता मत करो! भगवान ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। राजा मोरों के साथ उसी जंगल में रहने लगा और वो सब की सेबा भी करता था।
धीरे-धीरे उसने सबके दिल में जगह बना ली। कुछ दिन तक उसका इलाज चलता रहा, लेकिन स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं आया। राजा: मोर काका, तोता काका! आप लोग मेरे बारे में बहुत परेशान हो चुके हैं, ये काला रंग और कमजोरी मेरी तकदीर बन चुका है।
अब तक़दीर को बदलना मुश्किल है, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए। बेटा निराश मत हो! भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। तुम भगवान के नेक बंदे हो, वह तुम्हारी फरियाद जरूर सुनेंगे। लाल तोता इलाज जारी रखता है जो भी जड़ी बूटी मंगवानी होती थी मोर मंडली उसे हासिल कर देती थी।
एक दिन अचानक राजा ने नदी के पानी में अपना चेहरा दिखा, तो उसे यकीन नहीं हुआ। उसका रंग साफ हो गया था और चेहरे पर चमक आ गई थी। मोर: राजा बेटा! अब इलाज का फर्क दिखाने लगा है! राजा तुम्हारा चेहरा चमकने लगा है।
धीरे-धीरे राजा का स्वास्थ्य भी सुधरने लगा और उसका रंग भी निखरने लगा। देखते ही देखते वह एक सुंदर कबूतर बन गया। राजा: आप लोगों की प्यार और मेहरबानी ने मेरी जिंदगी बदल दी। तोता काका की दावों ने जादू कर दिया! मैं आप सबका बहुतअहसान मंद हूं।
मोर: बेटा नजर ना लगे! तुम दुनिया के सबसे सुंदर कबूतर बन गए हो, सबसे सुंदर और तंदुरुस्त हो गए हो। फिर राजा को अपने घर तक जाने का रास्ता दिखाया गया और उसकी मदद की गई अपना घर ढूंढ़ने के लिए।
जब राजा अपने जंगल के इलाके में पहुंचता है, तो उसको कोई भी पहचान नहीं पता। यहां तक की उसके माता-पिता भी नहीं। फिर वह अपनी मां को देखकर पहचान लेता है और अपने मां के नजदीक जाकर कहता है: मम्मी! पापा! आपने मुझे नहीं पहचाना? मैं आपका बेटा राजा हूँ।
यह सुना ही था कि उसकी मां अपने राजा को अपने करीब ले लेती है। और उसके बाद एक जंगल में कंपटीशन होता है की कौन कितना दूर उड़ सकता है और एक पहाड़ को छूकर फिर से वापस आता है।
इस कंपटीशन में राजा ने सारे कबूतर के बच्चों को हरा दिया और बहुत तेजी से उडा और बहुत तेजी से उस पहाड़ से भी आ गया। और अपने मां-बाप का गर्भ से सर ऊंचा किया।
2 thoughts on “चींटी और कबूतर | 3 Small Kids Story In Hindi”