इसी तरह के Short Motivational Story in Hindi में पढ़ने के लिए, हमारे motivational story india के पुश नोटिफिकेशन को सुसबक्रिबे करें।
Short Motivational Story in Hindi
यह कहानी है एक युवा लड़के के बारे में जिसका नाम रवि था। रवि एक आम लड़का था जो अपने सपनों को पूरा करने की चाह में जीता था। उसका सबसे बड़ा सपना था खुद को एक सफल व्यापारी के रूप में स्थापित करना।
हालांकि, रवि के पास कोई विशेष धन संसाधन नहीं थे और उसे व्यापार के बारे में कितना भी ज्ञान नहीं था। लेकिन रवि के मन में उसके सपनों को पूरा करने की अद्भुत आग जली रहती थी। उसे यकीन था कि अगर उसकी इच्छा मजबूत है और वह संघर्ष करता रहता है, तो उसे सफलता ज़रूर मिलेगी।
रवि ने नवीनतम व्यापार विषयों का अध्ययन किया, अनुभवी व्यापारियों से सलाह ली और उच्चतम गुणवत्ता वाले उत्पादों के बारे में जानकारी जुटाई। वह धीरे-धीरे एक छोटे से दुकान को शुरू करने का निर्णय लिया।
पहले कुछ साल व्यापार शुरू होने के बाद, रवि अपनी मुसीबतों का सामना करने लगा। लाभ कम था, संघर्ष था और तनाव बढ़ रहा था।
लेकिन रवि को आगे बढ़ने का मन नहीं हुआ। उसने इन चुनौतियों को एक मौका समझा और अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर काम करना जारी रखा।
देर-रात तक मेहनत करने, ग्राहकों की सेवा करने, उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और बाजार में नई रणनीतियों का पता लगाने के बाद, रवि के व्यापार ने धीरे-धीरे उड़ान भरनी शुरू की। उसकी दुकान लोकप्रिय हो गई, ग्राहक बढ़ गए और लाभ बढ़ा।
अंततः, रवि ने अपने सपने को पूरा किया और वह व्यापार की दुनिया में अपनी एक बड़ी और सफल कंपनी के मालिक बन गया। उसने अपने व्यापार के माध्यम से न केवल खुद को सफल बनाया, बल्कि बहुत से लोगों को रोजगार और आर्थिक सशक्ति प्रदान की।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
जीवन में सफलता की कुंजी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास में निहित है। हमें अपने सपनों के प्रति संकल्पित रहना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में डरने की जगह मेहनत करनी चाहिए। चुनौतियों को एक मौका मानकर उनसे सीख लें और निरंतर प्रयास करें, तो विजय हमारे कदम चूमेगी।
The Golden Fruit – Short motivational story hindi
ये कहानी है एक बाप और बेटे की, दोनों स्कूटर पे कहीं जा रहे होते हैं। तभी जो बाप होता है, उसकी नज़र पढ़ती है रोड के साइड में कुछ लड़कों को ऊपर , जोकि कीचड़ में कुछ ढूंढ रहे होते है।
तो अपना स्कूटर वहां रोकते हैं , और जाके उनसे पूछते हैं, “क्या ढून्ढ रहे हो यहाँ पर?“
उनमें से एक बोलता है, “क्या आपको दिख नहीं रहा के यहाँ एक सोने का फल है?” हम उसको पाने की कोशिश कर रहे हैं। उसकी ये बात सुनते ही,
बाप का ध्यान जाता है उस सोने के फल के तरफ, जो चमक रहा होता है। फिर उनके मंद में कुछ imaginations बनने लग जाती हैं की “काश ये जो फल है, ये मेरे बेटे के पास में आ जाये” के ना सिर्फ उसकी, बल्कि मेरी भी ज़िन्दगी बदल जायेगी।
तो बिना सोचे समझे अपने बेटे को धक्का मार देते हैं उस्स कीचड़ में, और बोलते हैं की “तुझे किसी भी कीमत पर वो फल लेके आना है।”
लेकिन बेटे को वो फल नहीं चाहिए होता है, उसके अपने कुछ और ही सपने होते हैं। वो बोहत कोशिस करता है अपने बाप को ये समझने की, मेरी खुशी इस फल में नहीं है, मेरी ख़ुशी कहीं और है, मेरे सपने कुछ और है। लेकिन उसके पिता उसकी एक नहीं सुनी।
उसको धक्का मरते हैं उस कीचड़ में और बोलते हैं, “कि मैं तुझसे पूछ नहीं रहा हूं, तुझे बता रहा हूं कि तुझे वो फल लेकर के आना है“
तो वो बेटा भी अपने बाप के सपने को सच करने के लिए अपनी पूरी जान लगा देता है, पूरी कोशिश करता है कि किसी तरीके से वो सोने का फल उसके हाथ में आ जाये।
जैसे जैसे वो हाथ, परे मरता है, उस फल को पाने के लिए, वो और निचे धसने लग जाता है, फिर जाके उसको समझ में आता है, ये कीचड़ नहीं है, ये दल दल है।
वो चीखता चिल्लाता है, अपने पिता को आवाज लगाता है। लेकिन उसके पिता उसकी एक नहीं सुन्ते। बोलते हैं की “बहाने मत बनाओ, और भी लोग हैं जो वहां कर रहे हैं, जब वो कर सकते हैं, तो तू क्योँ नहीं कर सकता“
तो एक बार वो फिर से कोशिश करता, अपनी पूरी जान लगा देता है, लेकिन उसके बाद भी उसके हाथ में कुछ नहीं आता। वो धीरे धीरे निचे धंसता चला जाता है। और मर जाता है।
तब जाकर कि उसके पिता को एहसास होता है, कि उससे कितनी बड़ी गलती हो गई, वो वहीं बैठ कर के रो रहा होता है। चीख रहा होता है, चिल्ला रहा होता है। तभी वहां पर एक साधु आता है।
वो साधू उस आदमी से पूछता है, की “तुम क्योँ रो रहे हो?” फिर वह आदमी उस सोने के पल की तरफ इशारा करते हुए, उस साधु को अपनी पूरी बात बताता है। और बोलता है कि “इसमें मेरी क्या गलती है?“
मैंने तो जो कुछ भी किया अपने बेटे की खुशी के लिए किया! तो साधु उस फल को ध्यान से देखता है और उस आदमी को कहता है, “जिस सोने के पल की वजह से तुम ने अपने बेटे को गवा दिया, कमसे काम ध्यान से उसके तरफ देखा तो होता“
के वहां कोई फल है भी या नहीं। यह सुन कर के उस आदमी को गुस्सा आया और उसने कहा कि “सामने तो दिख रहा है, क्या आपको दिख नहीं रहा?”
तब वह साधु उस कीचड़ के ऊपर एक पेड़ होता है, जिसकी तरफ इशारा करते हुए बोलते हैं, “वो जिसे तुम देख रहे हो, उस फल की परछाई है, असली फल वहां पर उस पेड़ के ऊपर है।“
फिर वो साधू उस आदमी को बोलै “कि अपने बेटे को जबरदस्ती धक्का देने की बजाय, और उसको बताने की बजाय कि तेरी खुशी किस में है, अगर तुमने उससे पूछा होता,” “कि बेटा तू बता तू क्या करना चाहता है” और तेरी खुशी किस में है?
तो ना सिर्फ तुम्हारा बेटा जिंदा होता बल्कि हो सकता है, कि उसके हाथ में वह असली सोने का फल भी होता।
Yaar images to bohat beautiful hain
बोहत badhiya Motivational story hai।