Introduction
तहमारा आज का टॉपिक है “Short Hindi story for kids“. इस ब्लॉग पोस्ट में आपके बच्चों के लिए बेहतरीन कहानिया हैं जो सिख के साथ ही हम लिखेंगे की इस कहानी से क्या सिख मिली।
1. मक्खी का लालच
एक बार एक व्यापारी अपने ग्रहक को शहद बेच रहा था। तभी अचानक व्यापारी के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन गिर गया । बहुत सा शहद ज़मीन पर बीखर गया । जितना शहद ऊपर-ऊपर से उठाया जा सकता था उतना व्यापारी ने उठा लिया । लेकिन कुछ शहद फिर भी ज़मीन पर गिरा रह गया ।
कुछ ही देर में बहुत सी मक्खियाँ उस ज़मीन पर गिरे हुए शहद पर आकर बैठ गयीं। मीठा – मीठा शहद उन्हे बड़ा अच्छा लगा। वह जल्दी-जल्दी उसे चाटने लगीं। जब तक उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं ।
जब मक्खियों का पेट भर गया और उन्होने उड़ना चाहा, तो वह उड़ ना सकीं। क्योंकि उनके पंख शहद में चिपक गए थे । उड़ने के लिए उन्होने बहुत कोशिश की। लेकिन वह फिर भी उड़ ना पायीं। वह जितना छटपटाती उनके पंख उतने चिपकते जाते । उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता ।
काफी मक्खियाँ शहद में लोट-पोट होकर मर गायीं। बहुत सी मक्खियाँ पंख चिपकने से छट पटा रहीं थीं । परन्तु तब भी नई मक्खियाँ शहद के लालच में वहाँ आती रहीं। मरी और छट पटाती मक्खियों को देखकर भी वह शहद खाने का लालच नहीं छोड़ पाई ।
मक्खियों की मुसीबत और मूर्खता देखकर व्यापारी बोला- जो लोग जीभ के स्वाद के लालच में पड़ जाते है, वह इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच में वह अपनें स्वास्थ को नष्ट कर देते हैं। रोगी बनकर तड़पते है और जल्द ही मर जाते हैं।
2. धोबी का गधा
एक गांव में एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था। कुत्ता घर की रखवाली करता और गधे का काम धोबी के कपड़ों का गट्ठर अपनी पीठ पर लादकर लाना ले जाना था।
धोबी कुत्ते को बेहद प्यार करता था और कुत्ता भी उसे देखकर पूंछ हिला देता था। वह अपने अगले पैर उठाकर धोबी के सीने पर रख देता। जवाब में धोबी भी प्रेम से उसको सहला देता।
यह देखकर गधे को ईर्ष्या होती थी कि इतना कड़ा परिश्रम करने के बाद भी धोबी मुझे वैसा प्यार नहीं करता जैसा कुत्ते को करता है। फिर एक दिन गधे ने धोबी को खुश करने के लिए ठीक वैसा ही करने की ठानी जैसे कुत्ता करता था।
अगले दिन जब गधे ने धोबी को अपनी ओर आते देखा तो वह उसकी तरफ दौड़ा। उसने पूंछ को मोड़कर हिलाने का प्रयास भी किया और अगले पैर उठाकर धोबी के सीने पर रख दिए। गधे का यह व्यवहार देखकर धोबी ने सोचा शायद इसे पागलपन का दौरा पड़ा है।
उसने आव देखा न ताव, पास पड़ी लाठी उठाई और गधे की धुनाई शुरू कर दी। गधे बेचारे की समझ ही न आया कि ऐसा क्यों हुआ ।
शिक्षा : ईर्ष्या का फल हमेशा हानिकारक ही होता है।
3. चालाक बन्दर – Short Hindi story for kids
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पर एक बन्दर रहता था । उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे । बन्दर उन्हे भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था ।
एक दिन एक मगर उस नदी में से पेड़ के नीचे आया । बन्दर के पूछने पर मगर ने बताया की वह वहाँ खाने की तलाश में आया है। इस पर बन्दर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगर को खाने के लिए दिए।
इस तरह बन्दर और मगर में दोस्ती हो गई । अब मगर हर रोज़ वहाँ आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते । बन्दर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था।
एक दिन बात-बात में मगर ने बन्दर को बताया की उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है । तब बन्दर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगर को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने के लिए दिए ।
इस तरह मगर रोज़ जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता । मगर की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसन्द नहीं था।
एक दिन मगर की पत्नी ने मगर से कहा कि अगर वह बन्दर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मैं उसका कलेजा खाऊँगी। मगर ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी ।
मगरमच्छ दावत के बहाने बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा । नदी बीच में उसने बन्दर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी । इस पर बन्दर ने कहा कि वो तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया है।
वह उसे हिफाजत से पेड़ पर रखता है। इसलिए उन्हें वापिस जाकर कलेजा लाना पड़ेगा । मगर बन्दर को वापिस पेड़ के पास ले गया । बन्दर छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया ।
उसने हँसकर कहा कि- “जाओ मूर्खराजा, घर जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो । भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है ।”
बन्दर की इस समझदारी से हमे पता चलता है कि मुसीबत के वक्त हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।