अगर आप Motivational Story For Success In Hindi जानना चाहते हैं और हिंदी स्टोरी से मोटिवेशन लेना चाहते हैं! तो आप बिलकुल सही जगह आये हैं।
1. Short Motivational Story For Success In Hindi
एक बार की बात है एक शिकारी था जो पक्षियों का शिकार करता था। एक दिन और शिकारी मार्केट जाता है और अपने लिए मार्केट से एक डॉग खरीदता है, उसे दिन गुजारने के बाद वह शिकारी नदी के पास बतक का शिकार करने जाता है।
और वह अपने साथ उस डॉग को भी ले जाता है। वह जब घात लगाकर बतक के शिकार के लिए बैठा होता है तभी वह देखता है कि उसका जो डॉग था वह पानी के ऊपर चल रहा था।
अब ये देख कर वह शिकारी बहुत ही हैरान हो जाता है वह सोच में पड़ जाता है कि, यह डॉग पानी के ऊपर कैसे चल पा रहा है?
यह देखकर वह शिकारी हैरान हुआ और साथ ही साथ बहुत खुश भी हो जाता है। उसने सोचा जब मैं इस डॉग को अपने दोस्त को दिखाऊंगा तब वह भी हैरान हो जाएगा। और मैं उसका चेहरे का रिएक्शन देखूंगा।
तो एक दिन उस शिकारी ने अपने दोस्त को भी नदी के पास बत्तख का शिकार करने के लिए बुलाया, उस शिकारी ने अपने डॉग से बहुत सारी बत्तखों का शिकार किया, क्योंकि वह डॉग पानी के ऊपर चल सकता था।
जब उस शिकारी के दोस्त ने इस डॉग को पानी के ऊपर चलते हुए देखा, तब उसने कुछ भी नहीं कहा। और ना ही उसे कोई हैरानी हुई।
वह बिल्कुल ही चुप रहा। शिकारी अपने दोस्त का रिएक्शन देखना चाहता था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शिकारी बतक का शिकार करने के बाद शिकारी और उसका दोस्त जब घर गए, तो शिकारी ने अपने दोस्त से पूछा ” क्या तुमने मेरे डॉग में कुछ अलग चीज देखी? “
शिकारी के दोस्त ने कहा की ” हाँ! मैंने तुम्हारे डॉग में एक अलग चीज तो देखि है। ” शिकारी ने उससे पूछा कि ” कौन सी चीज देखी? ”
उसके दोस्त ने उसकी तरफ देखकर जवाब दिया और कहा ” कि मैंने देखा कि तुम्हारे डॉग को तैरना नहीं आता है, और वह कभी तैरना सीख भी नहीं सकता है। यह तुम्हारे डॉग में बहुत बड़ी कमी है। “
इस कहानी से मैं बहुत बड़ी सीख मिलती है और वह यह है कि आप इस दुनिया में कुछ भी कर लो, कीतना भी बेहतर कर लो, कितना भी अलग कर लो लेकिन लोग कोई ना कोई कमी तो निकाल ही लेते हैं। इतिहास में बहुत से ऐसे महान लोग गुजरे हैं जिन्होंने बहुत अलग और बहुत बेहतर काम किया है।
लेकिन आज भी कुछ लोग उन्हें गालियां देते हैं और उनमें कमियां निकालते हैं। तो लोगों की बातों पर ज्यादा ध्यान मत दो, क्योंकि आप उनको कितना भी बेहतर खाना पका कर खिला दो, वह अलग से नमक जरूर मांगेंगे और खाने के बाद भी उस खाने में सौ तरह की खामियों और कमी निकलेंगे जरूर।
अगर आपको जिंदगी में आगे बढ़ना है तो यह मत देखो कि लोग क्या कहते हैं। अगर आप सबकी सुनने लगोगे तो फिर आप अपनी कब सुनोगे?
तो अगर आप इस कहानी को और भी लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं तो इस स्टोरी को दूसरे लोगों तक शेयर करिये।
अगर आपको इस Motivational Story For Success In Hindi से कुछ सीखने को मिला हो तो हमें कमेंट में जरूर बताईये। धन्याबाद!
2. Motivational Story For Success In Hindi
एक वक्त की बात है, एक बार एक स्कूल में नए सर (Teacher) आए हुए थे। वह सर किसी भी चीज को बहुत ही इंटरेस्टिंग तरीके से पढ़ाते और समझते थे। तो एक बार वह सर क्लास के अंदर आते हैं, वह क्लास स्टूडेंट से पूरी भरी हुई थी।
सर के हाथ में एक बड़ा सा जार था, उस जार को देखकर स्टूडेंट्स को कुछ समझ नहीं आया। सर ने उस जार को एक टेबल पर रख दिया और अपने बैग से कुछ बड़े पत्थरों को निकाला और उन पत्थरों को उस बड़े से जार के अंदर डालना शुरू कर दिया।
उन्होंने उस जार के ऊपर तक उन पत्थरों को डाल दिया था। अब उस जार के अंदर एक भी पत्थर नहीं जा सकता था। फिर सर ने सारी स्टूडेंट की तरफ देखकर उनसे पूछा कि ” क्या यह जार पूरा भर चुका है?”
सारे बच्चों ने सर की तरफ देखकर कहा ” हां! यह जार पूरा भर चुका है! ” बच्चों का यह जवाब सुनने के बाद, सर ने अपने बैग से कुछ छोटे-छोटे कंकरियों को निकाला और उस जार के अंदर उन छोटे कंकरियों को डालने लगे।
वो एक हाथ से जार में कंकरियों को डाल रहे थे और एक हाथ से जार को हिला रहे थे, ताकि कंकरियां उस जार के अंदर अपनी जगह बना ले। अब उस जार के अंदर बड़े पत्थरों के बीच में जो गैप था, छोटे कंकरियों ने गैप के अंदर जगह बना ली थी।
सर ने उन छोटे कनकारियों को भी जार के ऊपर तक भर दिया और फिर से सारी स्टूडेंट की तरफ देखकर कहां ” क्या अब ये जार पूरी तरह से भर चुका है? ” इस बार सभी स्टूडेंट्स खामोश थे, और बोलने के लिए हीच-कीचा रहे थे।
लेकिन फिर भी कुछ स्टूडेंट्स ने हाँ! में जवाब दिया।
और सर की तरफ देखकर कहा ” यस सर! यह जार अब भर चुका है। तभी सर ने इस बार अपने बैग से एक डिब्बा निकाल, जिसमे रेत भरी हुई थी और फिर उस जार को रेत से भरने लगे।
फिर रेत जार के छोटे-छोटे गैप में जाकर बैठ गई, जो कंकर और पत्थरों के बीच में थी। सर ने रेत को भी जहर के उपर तक भर दिया और फिर से स्टूडेंट से पूछा ” अब क्या ये जार भर चूका है? “
तभी एक स्टूडेंट खड़ा हुआ और उसने सर से कहा ” नहीं सर! उस जार को एक बार हिलाओ। ” फिर सर ने उस जार को हिलाया। हिलाने के बाद जार में रेत, थोड़ा सा नीचे को फिसल गई।
सर ने जार के ऊपर फिर से रेत डाल दी और उसे ऊपर तक भर दिया। सर ने उस लड़के की तरफ देखकर कहां ” क्या अब यह जार भर चुका है? ” इस बार सभी स्टूडेंट्स जार को देखकर संतुष्ट हो गए और सभी ने हां! कहा।
तभी सर ने अपने बैग से पानी की एक बोतल निकाली और पानी को उस जार के अंदर डालने लगे। पानी भी उस जार के अंदर जाता जा रहा था और सारे स्टूडेंट हैरानी से यह देख रहे थे। सर जार में पानी तब तक डालते रहे, जब तक पानी जार से बाहर गिरने नहीं लगा।
सारे स्टूडेंट यह देखकर खामोश थे, तभी सर ने समझने वाले अंदाज में सारे स्टूडेंट की तरफ देखकर कहां ” इन सारी चीजों से भरा यह जार, हमारी जिंदगी की तरह है! और यह जो बड़े पत्थर है, जो मैंने इस जार में सबसे पहले डाले थे, वो हमारी जिंदगी की इंपॉर्टेंट चीजों की तरह है। “
जैसे कि हमारी फैमिली, हमारे दोस्त, हमारी हेल्थ। अगर बाकी सब कुछ हमसे छीन जाए, हमसे छूट जाए और यह हमारे साथ हो, फिर भी हमारा जार भरा ही रहेगा, हमारी जिंदगी भरी रहेगी।
और कांकरिया हमारी जिंदगी की वो दूसरी चीज होती है, जो हमारे लिए जरूरी होती है, जैसे हमारी जब, हमारा घर, और हमारी गाड़ी। और रेत जो है वह हमारी जिंदगी की आम और मामूली चीजों को रिप्रेजेंट करती है।
बस इन्हीं चीजों के बीच हमारी जिंदगी घूमती रहती है। लेकिन अगर उस जार में हम रेत या कंकर को पहले डाल दे, तब जार में उन पत्थरों के लिए जगह नहीं बचेंगे। लेकिन जब मेने पहले उन पत्थरों को उस जार में डाला, तब कंकरियां और रेत भी उस जार में आराम से समा गए।
यही चीज हमारी जिंदगी पर भी अप्लाई होती है! हमारी जिंदगी में भी हमें पहले अपनी फैमिली, हेल्थ, और अपने पैशन को इंपॉर्टेंस देनी चाहिए, बाद में बाकी चीजों को।
अगर आप अपना सारा टाइम, अपनी सारी एनर्जी, मामूली और एनइंपॉर्टेंट चीजों पर बर्बाद कर दोगे, तो आपके पास इंपॉर्टेंट चीजों के लिए टाइम ही नहीं बचेगा। अपनी फैमिली के लिए, अपनी हेल्थ के लिए अपनी प्रोडक्टिविटी के लिए, आपके पास टाइम ही नहीं होगा।
अगर आप चीजों को प्रायोरिटी नहीं करोगे, तो आपकी जिंदगी की इंपॉर्टेंट चीज़े अधूरी रह जाएगी। इसीलिए जार के अंदर पहले पत्थरों को रखो, कंकर और रेत जैसे मामूली कामों को उनकी जगह मत लेने दो!
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