Introduction
अब ये के ऐसी कहानी है, जिसका मेरी लाइफ में न बड़ा असर हुआ है। तो Life-Changing Short Story in Hindi के लिया तैयार हैं? तो चलिए शुरू करते हैं।
Life-Changing Short Story in Hindi
2 किसान होते थे एक गाँव में, एक जैसा काम करते थे। दोनों मरे और भगवान् के पास गए। वहां गए तो भगवान् ने बोला “हाँ! अब बताओ तुम्हे क्या बनना है, तुम्हे किया चाहिए? “
एक किसान बोहत गुस्से में भगवान् से बोला “भगवान् क्या घटिया ज़िन्दगी दी थी मुझे! कुछ भी नहीं था मेरे पास, कुछ भी।”
“देखो मेरी आपने क्या हालत बना दि थी। पुरे ज़िन्दगी में बास बेल की तरह काम करता रहा, करता रहा। कुछ भी पैसे कमा ता था, वो आता था, मेरे पास से लेके चला जाता था। मेरे हाथ में कुछ नहीं रहता था। “
“तो भगवन इस जनम में, मुझे कुछ ऐसा बना दो, के मुझे किसी को देना न पड़े। बस मुझे पैसा मिलता रहे, मिलता रहे। हर तरफ से मिले” भगवन ने कहा “ठीक है बीटा! दे दिया, अब जा।” फिर कहा “दूसरा किसान कहाँ है?” फिर वो आया।
भगवन बोले “तुझे किया चाहिए?” वो किसान कहता है “भगवान्! आपने मुझे इतना कुछ दिया, फिर आपसे में किया मांगू? मुझे एक अच्छा परिवार दिया था, अच्छा-खासा मुझे काम दिया था, अच्छा गाँव था, खाने की कोई कमी नहीं थी, कभी में भूका नहीं सोया।
बस एक ही कमी रह गयि मेरे ज़िन्दगी में, के मेरे दरवाजे पे न, कुछ भूके लोग आते थे कुछ मांगने के लिए। में उनेह दे नहीं पता था। बास कुछ ऐसा करदो, के मेरे दरवाजे से कोई भूका न जाये। भगवान् ने कहा “ठीक है, करदिया! अब जाओ।”
दोनों का जन्म हुआ, उसी गाओं में। पहला आदमी जिसने कहा था की मुझे बस हर तरफ से मिले, और मुझे किसी को देना न पड़े। वो बना उस गाँव का सबसे बड़ा भिकारी।
और दूसरा आदमी, जिसने कहा था, मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस मेरे दरवाजे से कोई भूका न लौटे। वो बना गाँव का सबसे अमीर आदमी।
सिंपल है, अगर आप हँसते रहना चाहते हो, उसका सिर्फ एक ही तरीका है “हंसी दो।” आप गुस्से से देखते रहो सामने वाले को, और सोचो “मुझे कोई हंसा नहीं रहा ” कैसे हंसाएगा, कैसे कोई आपको हंसा सकता है?
इसी तरह, आपको कैसे खुसी मिलेगी? जब आप किसी को खुसी दे ही नहीं रहे। आप लड़ते रहोगे तो सामने वाला भी आपसे लड़ता रहेगा।
कितने लोग हैं, जो चाहते हैं, मेरे पास बोहत सारा पैसा हो, उसका सिर्फ एक तरीका है “पैसा दो , पैसा दो” शायद आपके मन में हो “पैसे कोई कैसे दे सकता है?”
पैसे के मामले में तो बोहत सी अजीब-अजीब सी चीज़ें हमारे अंदर बैठी हुयी हैं। और बोहत गहरायी तक बैठी हुयी है। हम कहते हैं “बाप बड़ा न भईया, सबसे बड़ा रुपईया।”
और कुछ लोग हैं, जिन्होंने सच मान लिया है इस बात को। वो सही में अपने माँ-बाप से लड़ रहे हैं, अपने भाई बहनो से लड़ रहे है, पैसे के लिए, सिर्फ पैसे के लिए।
में ये नहीं कह रहा, पैसे इम्पोर्टेन्ट नहीं है, वो कहना बेवकूफी होगी। बोहत जरुरी है, बोहत जरुरी है। लेकिन इन पैसों की जरुरत इतनी ही है, जितना के एक गाडी में पेट्रोल की होती है।
न उससे ज्यादा, न उससे कम। बिना पैसे के आपकी ज़िन्दगी की गाडी नहीं चलेगी, ये बात सच है। पर चारो तरफ, पेट्रोल ही पेट्रोल, पेट्रोल ही पेट्रोल। इतना पेट्रोल है बके किसी के बैठने तक की जगह नहीं है गाडी में।
सांस लेने तक की जगह नहीं है। एक हलकी सी चिंगारी और फिर आग लगेगी, फिर जलके मर जायेंगे। ये हो रहा है, जल रहे हैं हम लोग। दुनिया के नज़र में वो कामियाब हो सकते हैं, लेकिन अपनी नहीं। और में कोई थेओरोटिकल बात नहीं कर रहा।
अगर एक तरफ एक आदमी को रख दो, जिसके लिए पैसा ही सब कुछ है, बोहत सेल्फिश है और उसके पास बोहत सारा पैसा है, मान लो। लेकिन सिर्फ पैसा है, और कुछ भी नहीं है। दिल में खुसी नहीं है, दिल वीरान है। न वो खुसी देता है, न वो खुस होता है।
और दूसरी तरफ एक ऐसा आदमी है, जिसके पास पैसा चाहे थोड़ा कम है, लेकिन उसका सिर्फ एक काम है, सबके साथ हंसी-खुसी बाँटना।
ऐसा आदमी, जो हंसी बाँट रहा है, बाँट रहा है दुनिया में। उसके पास पैसा चाहे कम हो, कोई लाख गुणा ज्यादा कामियाब हो, वो ऐसा करोड़पति नहीं हो सकता। इसको असली दुनिया की कामियाबी कहते हैं।
और दूसरी तरफ ऐसे लोगों को लाके खड़ा करदो, जिनके पास पैसा बोहत है, लेकिन अंदर से ज़ीने की हिम्मत नहीं है, शेयर करने की हिम्मत नहीं है, खुसी की हिम्मत नहीं है। खुसी और हंसी देने की, वो यहाँ पर खड़े होके , कसी के आँख में आँख डालके नहीं बोल सकते की में खुस हूँ!
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Hansi do, aur hansi lo. It’s Simple.