ये Best Short Moral Story in Hindi है एक भिकारी की, जो पहले बोहत बड़ा मालदार था। वो भिकारी हमे एक बोहत बड़ा सबक देगा। धयान से पढ़िए।
1. Short Moral Story in Hindi
एक भिकारी था, जो एक छोटे से कस्बे में रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर बैठकर के भीख मांगा करता था। उसके पास पुराना सा कटोरा हुआ करता था, उसमें कुछ 4-5 सिक्के रख लेता था। और उन सिक्कों से आवाज करता था, लोग आकर्षित होते थे और उसे पैसे देते थे। साथ में वो गाना भी गाता था।
” कि तुम गरीबों की सुनो! तुम्हारी सुनेगा। तुम ₹10 दोगे, वह एक लाख देगा! ” और एक्के-दुक्के लोग, जिनका ध्यान आकर्षित हो जाता था, जिनको दया आ जाती तो सिक्के दाल के निकल जाते थे।
यह उसका रोज का रूटीन था। उस कस्बे के लोग कहते थे: कि इस भिखारी के जो खानदान था, वह बहुत अमीर था। पता नहीं इसकी क्या हालत हो गई ऐसी, की इसको भीख मांगने की नौबत आ गई!
लेकिन पूरी कहानी कोई जानता नहीं था। एक शाम में और रोज़ की तरह यही काम कर रहा था, उसे लगा कि अब चलना चाहिए! लेकिन फिर उसने सोचा कि 5-10 मिनट और बैठ जाते हैं। तभी एक पैसेंजर वहां से निकाला और बड़ी जल्दी में था।
लेकिन भिखारी के पास आकर के रुक गया। उसने भिखारी को देखा, कटोरे को देखा! फिर भिखारी को देखा और कटोरे को देखा। और फिर अपने जेब में हाथ डाला, पर्स निकाला और ₹100 के नोट गिनने लगा।
भिकारी की आंखों में नोटों को देखकर चमक आ गई। वह सोचने लगा की अगर एक मिल जाए, तो काम बन जाए! उस आदमी ने 10 नोट भिखारी की तरफ बढ़ाया और कहा: कि कटोरा दोगे?
₹1000 उसने भिकारी को ऑफर किये। भिकारी सोचने लगा की एक कटोरा के ₹1000! उतने में उस आदमी ने 10 और नोट निकाले और बोला यह लो ₹2000! भिखारी ने बिना कुछ सोच जल्दी से उसे आदमी को कटोरा दे दिया।
उस आदमी ने कटोरे को उससे लिया और फटाक से कटोरा को अपने बैग में डाला और वहां से चल दिया। और भिखारी भी फटाफट से अपना बैग-बोरिया उठाकर फौरन वहां से दूसरी दिशा में चला, कि कहीं इसका मन ना बदल जाए।
और उस आदमी को लग रहा था की कहीं भिखारी का मन बदल जाए और कटोरा वापस मांग ले। वो आदमी स्टेशन के अंदर आया, ट्रेन का इंतजार करना लगा। जैसी ही ट्रेन आयी वो अंदर चढ़ गया और पीछे पलट-पलट के देखने लगा की कहीं भिखारी वापस ना आ जाए।
ट्रेन ने हॉर्न मारी और स्टेशन छोड़ा, फिर उसे आदमी ने चैन की सांस ली। अपने बैग में हाथ डाला और उस कटोरा को निकाला। और उसकी वजन जांचने लगा कि कितना भारी है। वह कटोरा आधे किलो का था! यह आदमी धातु का जानकारी था।
जोहरी था कि एक नजर पहचान लिया था, की धूल में लपेटा हुआ वह कटोरा एक सोने का कटोरा था।
यह बड़ा खुश हो रहा था की लाखों का कटोरा ₹2000 में लेकर आ गया। और भिखारी बहुत खुश हो रहा था, की कटोरे के ₹2000 देकर के कोई मूर्ख चला गया। बहुत छोटी सी कहानी, उस भिखारी की नहीं है! कटोरा कि नहीं है! व्यापारी की नहीं है! जोहरी की नहीं है।
बल्कि ये हमारी और आपके कहानी है। ये जो लाइफ हमें मिली है, उसकी वैल्यू हमने कभी लगाई ही नहीं। हमें लगता है, मैं तो इस लायक भी नहीं हूं! लगता है मुझे कुछ होगा ही नहीं। में तो सबके लिए बस पैदा हुआ हूं, मैं तो इतना कुछ करके चला जाऊंगा।
मुझे ज्यादा कुछ अचीव नहीं करना, मेरी कैपेबिलिटी नहीं है, ताक़त ही नहीं है। हम अपने दुर्लभ मनुष्य तन की कीमत को कभी पहचान ही नहीं! हम वही गंदा कटोरा लेकर के भीख मांग रहे हैं। हम भूल गए हैं कि ये सोने का कटोरा है, बहुत कीमती है।
जिसकी वैल्यू अगर आपने समझ ली, तो आपकी लाइफ में चेंज आना शुरू हो जाएगा।
गरीब किसान – Short Moral Story in Hindi
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान राम नामक व्यक्ति रहता था। राम के पास एक छोटी सी जमीन थी जिस पर वह हर दिन मेहनत करता था ताकि रोजगार कमाए और परिवार को पोषण दे सके।
एक दिन, जब राम अपने खेत में काम कर रहे थे, उन्होंने एक पूरी भरी हुई सोने की थैली पाई। उन्हें अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था और वह इस नई ख़ज़ाने से बहुत खुश थे। राम एक्सिटमेंट से सोचने लगे कि वह कितनी चीजें खरीद सकते हैं और उनका ज़िन्दगी कैसे बेहतर होगा।
जब वह थैली को घर ले जाने जा रहे थे, तभी उन्होंने आस-पास रो रहे एक छोटे बच्चे को देखा। राम ने बच्चे के पास जाकर पूछा कि उसे क्या हुआ है। बच्चा ने बताया कि वह अपनी राह भूल गया है और उसके पास वापस जाने के लिए पैसे नहीं हैं।
राम अपने हाथ में सोने की थैली को और फिर बच्चे को देखा। उन्हें एहसास हुआ कि सोना उसके और उसके परिवार के लिए अस्थायी खुशी ला सकता है, लेकिन यदि समझदारी से उपयोग किया जाए, तो यह बच्चे और उसके परिवार को स्थायी खुशी दे सकता है।
बिना सोचे समझे, राम ने सोने की थैली को बच्चे को सौंप दिया। बच्चे की आंखों में कृतज्ञता की रोशनी छाई और उसने राम को बहुत धन्यवाद दिया। राम मुस्कान दिया और बच्चे से कहा कि वह अपनी देखभाल करे।
दिन बदलते-बदलते महीने हो गए और राम ने अपने खेत पर मेहनत करनी जारी रखी। एक दिन, एक पड़ोसी गांव से एक धनी आदमी गांव में आया और राम के निःस्वार्थ कार्य के बारे में सुनकर हैरान हुआ।
अपनी मेहनत और दयालुता से प्रभावित होकर, धनी आदमी ने राम को अपनी कंपनी में नौकरी के लिए आमंत्रित किया, उसे अच्छी सैलरी और परिवार के लिए बेहतर जीवन का वादा किया।
राम आभारी रूप से उस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए धनी आदमी के लिए काम करने लगे। वास्तव में, धनी आदमी ने वादे के अनुसार राम को सम्मानित किया और उसे सुखद जीवन दिया। राम के परिवार को अब उनकी बुनियादी आवश्यकताओं की चिंता नहीं थी और वे सुखी रहते थे।
कहानी का मोरल है कि असली खुशी निःस्वार्थ कर्मों और दूसरों की सहायता करने में होती है। राम ने सोने की थैली को खुद के लिए रखने की बजाय छोटे बच्चे की मदद करने का चुनाव किया, जिससे उसने न केवल उस बच्चे के जीवन में खुशी लाई, बल्कि उसे अप्रत्याशित आशीर्वाद भी मिले।
हमारे अपने जीवन में, चाहे हम यह ध्यान रखें कि हमारी मदद करके और दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाकर, हमें और हमारे पास कितनी ही सामग्री संपत्ति क्यों न हो, हमें सदैव खुशी मिलेगी।
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