Introduction
क्या आप इंटरनेट पे Best Motivational Story in Hindi को सर्च कर रहे हैं? तो आप बिलकुल सही जगह आये हैं। ये कहानी आपको सक्सेस होने की मोटिवेशन देगी।
Yahan Se Best Motivational Story in Hindi shuru Hoti hai.
एक गाँव में एक जवान लड़का रहता था, और वो अपने आलस पन और काम चोरी के लिए मशहूर था। सभी गाँव बासी उसे आलसी कह कर ही पुकारते थे, क्योँकि वो पुरे दिन एक पेड़ के निचे पढ़ा रहता। और लेटते लेटते वो अपने फ्यूचर के बारे में सोचता रहता, और अछे अच्छे सपने देखता। उसके दिन ऐसे ही आलस में गुजर रहे थे।
लेकिन एक दिन उस गाँव में एक साधू आये, जोकि अगले 3 दिनों तक उसी गाँव में ठहरने वाले थे। वो दिन भर लोगों से चंदा करते और लोगों को उपदेश देते और रात में गाँव के बहार बने मंदिर में आराम करते।
वो साधू जब भी दान लाने जाते और रात को वापस आते तो वो साधू हर बार उस जवान लड़के को उसी पेड़ के निचे लेटा हुआ पाते। साधू 2 दिनों तक ये सब देखते रहे और समझ गए की ये लड़का मानसिक आलस का गुलाम है।
तीसरे दिन जब वो वापस लौट रहे थे, वो उस लड़के के पास गए, जो अभी भी उसी पेड़ के निचे लेटा हुआ था। साधू ने लड़के से कहा “बेटे मेरे पास तुम्हारे लिए एक काम है। में चाहता हूँ के तुम उस पहाड़ी के चोटी तक जाओ और वहां से मेरे लिए एक पंख ले कर आओ। ”
लड़के ने लेटे लेटे ही अपना सर पहाड़ी के तरफ किया और अपनी नज़र उस पहाड़ की चोटी की तरफ ले गया और उसने साधू के तरफ देखा और उपहास लेते हुए कहा ” ये असम्बव है। में उस पहाड़ी के ऊपर तक नहीं जा सकता, में बोहत आलसी हूँ। “
साधू ने मुस्कुराते हुए कहा “अरे! मुझे जिस पंख की तलाश है, वो इस पहाड़ी के सिखर पर भी नहीं मिलेगा, वो तो इस पहाड़ी के दूसरे तरफ एक गुंफा के अंदर मिलेगा। जिसके लिए इस पहाड़ी के सिखर तक चढ़ कर फिर निचे उतरना होगा। लेकिन वो कोई साधारण पंख नहीं है, वो ऐसा पंख है, जिसे तुमने कभी नहीं देखा होगा।”
वो पंख रेयर, लेकिन सुन्दर पंख है, जो रौशनी बिखेरती है। साधू के इन बातों से उस लड़के के अंदर एक्ससिटेमेंट बढ़ गयी। उसने आज से पहले ऐसे पंख के बारे में कभी नहीं सुना था। और ऐसे रोमांचक सफर के बारे में सुन कर वो अंदर ही अंदर एक्सिटमेंट हो गया था।
इसीलिए उसने साधू के चुनौती को क़ुबूल किया, और वो पहाड़ी की तरफ चल पड़ा। लेकिन चढ़ाई बोहत लम्बी और मुश्किल था। जल्द ही लड़के का सरीर थकने लगा, साँस फूलने लगी और सरीर से पसीना बहने लगा।
लेकिन फिर भी उसने चलना जारी रखा। वो जैसे जैसे ऊपर, और ऊपर चढ़ता गया, उसे खुसी महसूस होने लगी, जिसे उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया था।
आख़िरकार जब वो कड़ी म्हनत और लम्बे कोशिशों के बाद पहाड़ी के सिखर पर पोहंचा, तो वो पुरे तरीके थक चूका था। लकिन वो बोहत खुस था, उसे अंदर से आत्म सन्तुस्टी का अहसास हो रहा था। उसके चेहरे पर योद्धाओं जैसी मुस्कान थी।
जैसे उसने कोई युद्ध जीत लिया हो। फिर उसने पहाड़ी के सिखर से निचे देखा, उसके सामने एक बोहत ही मनमोहक नज़ारा था। लेकिन असली चुनौती आगे थी। क्योँकि उसे फिर उस पहाड़ी से निचे भी उतरना था, और उस गुंफा को भी ढूंढ़ना था, जिसमें पंख मिलने की बात कही गयी थी।
निचे उतरना बोहत ही ज्यादा मुश्किल और खतरनाक था, क्योँकि ढलान ज्यादा गहरी थी और चढाई के समय लड़का बोहत बार लड़खड़ाया और गिरा भी था। तो वो दर भी उसके अंदर था।
लेकिन साधू को वो पंख लाके देने के वादे की वजह से वो लगातार आगे बढ़ता रहा। काफी खोज, मुशकत, और कड़ी म्हणत के बाद, जब वो अंत में गुंफा तक पोहंचा, तो उसने देखा की पंख वहीँ पढ़ा हुआ था।
जो के ऊपर एक बड़ी सुराख़ से आने वाली रौशनी की वजह से चमक रहा था, फिर उसने उस पंख को उठाया और उसके सुंदरता को देखता ही रह गया।
वो काफी देर तक पंख को ही घूरता रहा, लेकिन फिर अचानक उसे याद आया, मुझे तो अभी वापस भी जाना है। उसने खुदके तरफ देखा, वो पूरी तरह से थक चूका था। और वो चिंता में पढ़ गया के वो पहाड़ में कैसे चढ़ेगा।
और वो साधू तक पंख कैसे पोहंचायेगा, एक पल के लिए उसने हार मानने के बारे में सोचा, लेकिन उसे वो खुसी और गर्व की भाबना की याद आ गयी, जो उसने पहाड़ी के सिखर पर पोहंच कर महसूस किया था।
उसे एहसास हुआ, के उसके अंदर इस सफर को दुबारा पूरा करने की ताक़त और मज़बूती है। वो दुबारा पहाड़ी पर चढ़ने लगा, उसके मांसपेशियों में दर्द हो रहा था और कमजोरी की वजह से पैर कांम्प रहे थे। साँस फूल रहे थे, वो कई बार लड़खड़ा कर गिर भी पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
वो खुदको आगे बढ़ाने के लिए लगातार मोटीवेट करता है। अथक म्हणत और घंटो की कड़ी कोशिशों के बाद, जब वो साधू के पास पोहंचा और उनके हाथों में वो पंख रखा, तो उसके खुसी का ठिकाना न रहा। उसे महसूस हुआ के उसने आज अपने आलस पर काबू पा लिया है।
और कुछ बढ़िया करके दिखाया है। उसके चेहरे पर इतनी खुसी और संतुस्टी का भाव देख कर, साधू मुस्कुराये और बोले “बहुत बढ़िया मेरे बचे! आज तुमने जीवन का बोहत ही महत्वपूर्ण सबक सीखा है।
की आलस कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जिसे स्वीकार करलिया जाये, बल्कि आलस एक चुनौती है, जिसे दूर करना होगा, ये एक बाधा है जिसे पार करना होगा, और आलस को ख़तम करने के लिए तुम्हे अपना पहला कदम उठाना ही होगा। “
अपने मकसद के तरफ चलना ही होगा और तब तक चलते रहना पड़ेगा, जब तक तू अपनी मंजिल को हासिल नहीं करलेता।
लड़के ने साधू के शब्दों की गहरायी और उसके मक़सद को समझते हुए, हाँ! में अपना सर हिला दिया, आज उसे एहसास हुआ के वो हमेसा ही बड़ी और महान चीज़ें करने में काबिल था।
लेकिन उसके आलस ने उसे रोक रखा था, अब वो जनता था की उसके पास अपने रस्ते में आने वाले किसी भी बधा को वो दूर करने की ताक़त और मज़बूती है।
इसके बाद साधू ने उस लड़के को आशीर्वाद दिया और उस गाँव से चले गए।
Moral Of The Story
इस कहानी से सिखने वाली बात ये है, की मक़सद impossible लगने के बवजूद भी अगर हम उसे पूरा करने के लिए खुदको आगे बढ़ाते है, तब हम अपने अंदर ऐसी ताक़त और मज़बूती की खोज करते हैं जिसके बारे में हम कभी नहीं जानते थे।
आलस पन पे काबू पाने के लिए हमें खुदको चुनौती देनी चाहिए और बडा सपना देखना चाहिए। फिर चाहे उस सपना को पूरा करना कितना ही मुश्किल क्योँ न हो, हमें लगातार (मानसिक और साररिक) आगे बढ़ते रहना चाहिए।
बाधाओं और असफलता के बावजूद मज़बूत रहना चाहिए। हमे अपने लिए एक नियम बना कर उसपर टिके रहकर, अपने डेली लाइफ को भी बिकसित करना चाहिए। हमे कुछ ऐसी आदतें बनानी चाहिए जो मन न लगने पर भी फोकस और एक्टिव रहने में मदत करेंगे।
आलास पर काबू करने का मतलब बिकास का मानसिकता बिकास करना है, इसका मतलब चुनौतियों और असफलताओ को बिकास और सिखने की opportunity के रूप में देखना, न की हार मानने के रूप में।
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Jab dusre ke liye itna Mehnat kar sakte hain, to apne ke liye kyoun nahi?
Badhiya story mam