Hindi Motivational Story for Students (Best Motivation)

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Hindi Motivational Story for Students
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Introduction

इस Hindi Motivational Story for Students, आपको बोहत मोटीवेट भी करेगी और एक अहम् सबक भी सिखाएगी। और अगर हार्ड मोटिवेशन चाहते हो, तो इसे लास्ट तक जरूर पढ़ना। बोहत पावर मिलेगी।

सालो बाद घरकी सफाई में एक पूराना फटा हुआ सा वौलेट निकलता है। लड़का जब उस वौलेट को देखता है तो उसे उसके पापा की आद आती है। खेर, पापा तो नहीं है, चलो एक बार उनका वौलेट खोल कर देखता हूं, थोड़ा सकून मिलेगा।

यही शोचकर वो लड़का अपने पिता का वौलेट खोलता है तो उसे सब से पहले उसकी अपने बच्पन की फोटो दिखती है। उसकी अगले खाचे में एक बढ़ी सी पर्ची होती है लड़का उस पर्ची को निकालता है तो उसकी आखे भर आती है।

Man hand holding a slip of paper

आखिर ऐसा क्या था उस पर्छी में?  उस पर्ची के साथ तीन चार और पर्ची जोडि होती हैं। वो पहली पर्ची पढता है जिसमें जिन जिन रिस्थादारों के, कर्ज थे, और जितना उधार चुकाना था भ्याज के साथ वो सब लिखा होता है।

दूसरी पर्छी में उस लड़के का college application होता है। जिसमें उसके पिता ने उसके final year की फीस भरने के लिए साथ दिनों की मोहलत मांगी थी।

क्योंकि उनके घर से 65,000 रूपय और कुछ गहने भी चोरी हो गये थे। तीसरे पर्छी में उसके पिता की पूरानी इसकूटी का पेपर था, जिसे वो दिल से भहुत जादा चाहते थे। मगर सिर्फ उसके college fees के चलते उन्हें अपनी इसकूटी बेचनि पड़ी।

और किसी आदमी से बाकी के कुछ पैसे, 10 रूपय भ्याज के रूप में लेने पड़े। चौथी पर्छी में पूरानी कोठरी के काक्जात थे, जो बिग गय थे। जब उस लड़के की माका अपरेशन होना था। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं हो पाए थे ये देखकर उस लड़के के आखों से एक-के-बाद एक आशू गिरने लगे।

land contract papers

तब इसकी पतनी आती है और उन पर्चियों को देखकर समझ जाती है, कि सायद उसे अपने पिता की याद आ रही होगी। इस पर उस लड़के की पतनी कहती है “आज बड़े दिनो बाद अचानक, ऐसा क्या याद आ गया कि इतने आशू निकल गए?

तब वो भारी दिल के साथ कहता है की “कभी मुझे दिखा ही नहीं के मेरे पिता किस दर्द में थे, कोलेज के फाइनल ईयर में जो हमारे घर चोरी हुई थी वो किसी चोर ने नहीं, बल्कि मेने किया था। सिर्फ अपने बाइक के लिए।”

और यहाँ क़र्ज़ पर क़र्ज़ बढ़ते रहे। और वो अंदर ही अंदर घुटते रहे और में हमेसा उनिह को कोस्ता रहा। की उनहो ने मेरी एक भी इच्छा पूरा न किया, न मेरे दूसरे दोस्तों की तरह नए कपडे लाके दिए, न कोई खिलौना दिया।

जबकि मुझे सेहर के सबसे बड़े स्कूल में पढ़ाने के पैसे थे उनके पास। माँ की इलाज के वक़्त भी पैसे थे मेरे पास, जबकि में उनेह नशे में उडाता रहा, दोस्तों पर खर्च करता रहा।

man smoking a cigarette
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और जब पापा पैसों के लिए फ़ोन करते, तो में उनिह पर भड़क जाता। तब आखिर में जाकर उन्हें अपनी पुस्तैनी कोठी बेचनी पड़ी।

इतना बोलते-बोलते वो लड़का फूट-फूट कर रोने लगा। तभी उस लड़के का बेटा पापा-पापा बोलते हुए उसके पास आता है वो पूछता है “पापा आप रो क्यो रहे हैं?” 

वो एक साथ साल का बच्छा था उसे क्या ही समझ होगी इन सब की?  उसकी नजर उन परचो पर पड़ती है, वो पाचवा परचा जिसे वो लड़का सायद पढ़ना बूल गया था।

उसका बेटा उस परचे को देखता है, और पढ़ना शुरू कर देता है। उस पर्चे में लिखा होता है “अरे जान्की तुम चिन्ता क्यो करती हो?  हमारा बेटा है ना, वो सारे क़र्ज़ चुका देगा, ये दुनिया कहीं काम नहीं आती आखिर में अपनी औलाद ही तो अपना साहरा बनती है न, आज उसके लिए कमा लेने दो, कल वो हमें तकलीफ होने नहीं देगा।”

“तुम देख लेना वो थोड़ा जिद्धी है लेकिन रिस्तो की पूरी कदर है उसे।  मैं चाहता हूं वो अच्छे से अच्छे माहौल में पड़े लिखे। और आगे बड़े जब तक मैं जिन्दा हूं, उस पर चिन्ता के एक जलक भी नहीं आने दे सकता।”

“फिक्र मत करो, तुमारे भाई से जो पैसे लिए हैं, वो जल्दी लोटा दूंगा। लेकिन अभी इसके होष्टल की फीस भर देता हूं पिछला महिना खाली चला गया वर्ना ये नवत नहीं आती। अच्छा तुम ये चिठ्ठी समाल कर रखना, अब तो मैं तुमारे भाई के पैसे लोटाने के बाद ही ये चिठ्ठी तुम से वापस लूंगा। अपना और हमारे बेटे का ख्याल रखना।”

वो लड़का ये सब सुनकर फूट-फूट कर रोने लगता है, और बोलता है “यार सचमे पापा को कितनी उम्मिदे थी मुझसे और मैंने क्या किया।

दोस्तों शायद आप ये सोच रहे होंगे की कैसे उस लड़के को आज अपने गलती का एहसास हो गया? में बताता हूँ, क्योँकि वो लड़का अब एक बाप बन चूका है।

लम्हां कितने जल्दी गुजर जाता है न, ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात हो। एक नन्ना-मुनाह सा हात बरका लड़का, अपनी पापा के गोद में, अपने ज़िन्दगी का सबसे पहला लम्हां जी रहा होता है।

कितनी ख्वाहिसे, कितनी तमन्नाएं होती होंगी उस बाआप के आँखों में, जब वो छोटे से बचे को अपने गोद में लिया होता है, उस नंनिह सी जान से उस बाप ने ना जाने कितने उम्मीदें लगा ली होंगी।

Best पार्ट – Hindi Motivational Story for Students

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हाँ भाई! तुम्ही से बात कर रहा हूँ। हाँ! हाँ! तुम!

बहुत हो गया प्यार दुलार, अब उतरता हूँ तुम सबका बुखार, क्या चल रहा है जरा बताना। अब तुम्हें समझ नहीं आ रहा या फिर तुम समझना नहीं चाहते, दिल नहीं लग रहा काम पे? या लगाना नहीं चाहते?

क्या बाप का बुढ़ापा दीखता नहीं या देखना ही नहीं चाहते? उस बाप ने तुम्हारा स्कूल की फीस भरने के लिए दिन, रात एक कर दिए, तुम्हे ठिक्से नींद आये, इसीलिए खुद बिना कम्बल के सो गए।

तुम्हे खाना सही टाइम पे मिले, इसीलिए वो बाप एक टाइम भूका सो जाता है। तुम कहीं बिगड़ न जाओ, इसीलिए वो हमेशा टेंशन में रहता है।

लेकिन अब क्या करोगे दोस्त! वही बाप अब बूढ़ा हो रहा है। हाँ! दोस्त अब कब कामियाब होकर दिखाओगे? तुम्हारे पापा भूढे हो रहे हैं।

तुम्हें नहीं लगता? इससे भी शर्म की और गिरी हुयी कोई और बात हो सकती है, की बीटा अपनी ज़िन्दगी में जीते जी अपने बाप का एक छोटा सा सपना पूरा न कर सके।

पापा बूढ़े हो रहे हैं, अब कब सफल होगा दोस्त!? कब अपने पैरों पर खड़ा होगा? कब उनेह खुद पर गर्व करने का मोहका देगा।

सिर्फ 5 साल! हाँ! सिर्फ 5 साल! अगर आज virat Kohli के बाप ज़िंदा होते, तो उस क्रिकेट के राजा की बादशाहत देख पाते।

cricket ground

आज virat Kohli भी उस गम का एहसास है की आज वो दुनिया के लिए ताज हैं, क्रिकेट जगत पर उनका राज है, इतिहास के महान लोगों में उनका नाम दर्ज़ है।

फिर किसकी कमी रह गयी? की पिता को वो कभी अपना खेल नहीं दिखा पाए। शाहरुख़ खान को देखलो! आज भी उस बन्दे को बास इसी बात का अफोस है की जीते जी वो अपने माँ बाप के सामने अपनी सोहरत हासिल न कर सके।

खुद उनहो ने कहा है “की बोहत किस्मत वाले होते हैं वो लोग, जिनकी कामियाबी में उनके माँ और बाप साथ होते हैं”

ऐसे गिन-गिन के नाम लेने जाऊंगा न, तो लिस्ट बोहत लम्बी हो जाएगी। लेकिन सवाल वो किस्से गिनाने का नहीं, बल्कि तुम्हें समझने का है।

की हम क्या इतने बुजदिल निकले की हमारे पिता बूढ़े हो रहे हैं और हम उनका सहारा तक नहीं बन पाएं। Virat Kohli और Sharuk Khan के किस्मत में तो वो लम्हां नहीं था। क्योँकि उनके पिता उम्र से पहले ही दुनिया से चल बेस।

इसमें उनका कोई कसूर नहीं, क्योँकि हालत चाहे कितने भी बुरे क्योँ न थे, उनोह ने कामियाब हो के दिखाया जरूर।

लेकिन में ये पूछता हूँ तुमसे - तुम्हारे ज़िन्दगी में भी क्या किस्मत का कुसूर है? जी नहीं! बिलकुल भी नहीं! कुसूर है तो तुम्हारा, तुम्हारे आलस पन का, तुम्हारे झूठी सोच का, तुम्हारे झूठी दिमाग का, तुम्हारे नाकारा पन का,  तुम्हारे बाहानो का, तुम्हारे कच्चे इरादों का, तुम्हारे झूंट की सीढ़ियों का, तुम्हारे पैरों में लगे नसे के बेड़ियों का। 

एक लड़का दिन रात आवारा पांति करता है, मगर फिर भी उसका बाप, कोनेह में बैठा उसकी माँ से कहता है “मुझे इससे उम्मीद है, हमारा बेटा बड़ा होकर बोहत बड़ा आदमी बनेगा, मेरे अरमानो को पूरा करेगा, मेरे हर सपनो को सच करेगा।”

अच्छा! जब ये साड़ी बातें माँ से तुमको पता चलती है, तो क्या रूह नहीं कांपती? क्या ऐसा नहीं लगता, की यार हम कितने पीछे रह गए इस दुनिया की दौड़ में?

लेकिन! तुम ये सब सोचो गए कैसे? इतनी फुर्सत ही कहाँ है तुम्हारे पास? और सरम तो खेर बोहत दूर की बात है। जब बंदा पुरे दिन इंस्टाग्राम (Instagram) चलाएगा, और पुरे दिन सोयेगा, और खाने के लिए बच्चों के तरह नखरे दिखायेगा, छोटी-छोटी चीज़ों में रोता नज़र आएगा, तो ऐसे में उसे ये सब सोचने की फुर्सत कहाँ मिलेगी?

scrolling instagram

एहि तो लानत है आज के नो-जवानो पर! कॉलेज या क्लास की किसी लड़की की आँखों से लेकर उसके character तक को देख लेते हैं। judge करने लगते हैं।

किसी लड़की के हलकी सी मोच पर, हाथ अपने आप उसके तरफ बढ़ जाता है। लेकिन उनिह लड़कों को अपने माँ बाप का दुःख, उनकी तकलीफ, और उनका मेहनत कभी दिखाई नहीं देता।

माँ बाप कभी बताते नहीं, तो क्या इसका मतलब उनको किसी तरह का दुःख नहीं होता? उनेह तकलीफ नहीं होती?

तुम्हें शायद मालुम भी नहीं होगा, के कितना क़र्ज़ होगा उन पर, इन सके बावजूद भी वो अपना दुःख तुम्हारे सामने कभी झलकने नहीं देते। अपने आंसू तुम्हे कभी दिखाते ही नहीं।

ताकि तुम्हे pressure महसूस न हो। ज़िन्दगी में तुम खुस रहो, सिर्फ इसके खातिर माँ अपनी खुशियां क़ुर्बान करती हैं, और बाप अपना उम्र। बदले में क्या ख्वाहिसे रह जाती हैं, उन माँ-बाप के अपने लड़के-लड़कियों से?

सिर्फ वो इतना ही तो चाहते हैं न, के उनके बचे एक नाकाम ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक कामियाब ज़िन्दगी गुजारें।

अब तुम्हें क्या करना है? ये बात तुम बोहत अछि तरह जानते हो।

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