बेवकूफ बन्दर – Hindi Story for Kids

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Introduction

Hindi Story for Kids में एक बन्दर के ग्रुप के बारे में है। जो अपना एक घर खोज रहे हैं लेकिन वो गलती से शेर के गुंफा में पोहंच जाता है। फिर आगे किया हुआ? चलिए जानते हैं।

Hindi Story for Kids

Hindi Story for Kids

देहरादून के घने जंगल में, एक पेड पर बंदरों का एक झुंड रहा करता था। इस जुंड का मुख्या, हल्कू बंदर था। जो बहुत बेवकूफ, लेकिन वो अपने आप को बहुत ज्यादा अगलमन्द समझता था। और हमेशा अपने जुंड के बंदरों पर अकलमन्दी झाड़ता रहता था।

झुंड का कोई बंदर, जब भी अपने लिये परमानेट घर बनाने की बात करता तो हल्कू उस से कहता “अरे बेवाकूफ, हम कोई परिनदे हैं जो घर बनाकर रहेंगे। हमारे पूर्वजों ने कभी घर नहीं बनाया, तो हम क्योँ बनायेंगे? अरे बन्दर घर में नहीं, पेड़ो पे लटकते अचे लगते हैं।”

दूसरा बन्दर – पर दादा, अप समय बदल चुका है, हमें भी अपने पुराने रीती रिवाज और आदतों को बदल कर अपने लिये एक घर बना लेना चाहिये। हल्कू उस बन्दर को दांनट कर कहा “अपनी सलाह अपने पास रख, अगर तू ज्यादा अक्लमंदी झाड़ेगा, तो में तुझे अपने झुंड से निकाल दूंगा। “

हल्कू की धम्की से डरकर बेचारा बंदर चुप हो गया, इसी तरहां से इन बंदरों का समय बीत रहा था। फिर गर्मी का मोसम बीत्ता है और बरसात का मोसम शुरू हो जाता है।

rainy season in jungle

एक दिन की बात है, उस दिन तेज भारिश के साथ -साथ बड़ी भयंकर आन्धी भी चल रही थी, आन्धी में कई पेड़ टूट चुके थे, और बंदरों वाला पेड़ भी गिर गया था। बंदरों के पास अब रहने के लिए कोई दूसरा थिकाना नहीं था। इसलिए सारे बंदर अपने टूटे हुए पेड़ के तूट पर आपस में चिपक कर बैठ गए।

और भारिश में भीगते हुए भारिश के बंध होने का इंतिजार करने लगे।  कई घंटों के बाद जब भारिश बंध हुई तब सारे बंदरों ने मिलकर हल्कू से कहा “हल्कू दादा, अपना भूरा ठीक ही बोलता था, अगर हम अपना घर बना लेते तो आज इस भारिश में अपनी घर के अंदर आराम से बैठे होते।“

हल्कू बन्दर “हाँ! तुम लोग ठीक बोल रहे हो, लेकिन हम घर बना कर अपने पूर्वजों का अपमान नहीं करेंगे। “

दूसरा बन्दर बोलता है “अरे दादा! क्या हम इसी तरह बारिश में भीगते रहेंगे?” हल्कू बन्दर “अरे नहीं नहीं! हम कोई खली गुंफा ढून्ढ कर, गुंफा में रहना शुरू करेंगे।”

दूसरा बंदर “हाँ! दादा ये ठीक रहेगा, क्योँकि हमे घर भी मिल जायेगा और घर बनाने की म्हनत भी नहीं करनी पड़ेगी।” फिर सारे बन्दर गुफा को ढूंढ़ने के लिए जंगल से निकल कर, पहाड़ के ऊपर चले गए।

पहाड़ के दामन में एक गुंफा थी, इस गुंफा में एक शेर रहा करता था, इस समय शेर गुंफा के अंदर मौजूद नहीं था। वो शायद शिकार करने गया हुआ था।

cave on the mountain

बंदरों का झुण्ड शेर के गुंफा के पास आ गया, एक बन्दर गुंफा को देख कर, खुसी से ताली बजाते हुए हल्कू बन्दर से कहता है “दादा ये देखो हमने एक गुंफा ढूंढ ली, चलो इस गुंफा के अंदर चल कर देखते हैं।”

हल्कू बन्दर कहता है “अरे! अंदर चल के क्या देखेगा रे? अंदर क्या तेरी मौसी नाच रही है? अबे गद्दे! हमें गुंफा के अंदर जाके देखना नहीं है, हमें गुंफा के अंदर रहना है।”

सारे बन्दर हल्कू की बात पर हंस पड़े। उसके बाद सारे बन्दर गुंफा के अंदर चले गए। गुफा के अंदर जानवरों की हड्डियों का एक ढेर लगा हुआ था, एक बंदर हड्डियों के ढेर को देखकर कहने लगा ” हल्कू दादा! लगता है, यह किसी शेर या भेड़िए की गुफा है!

bones in the cave

जो कि अभी कहीं गया हुआ है, उसके आने से पहले हमें यहां से निकल लेना चाहिए। ” हल्कू बन्दर: अरे हम इस गुंफा से क्यों निकालेंगे भाई, अब तो इस गुंफा में  हमारा कब्जा हो गया है! अब तो यहां से वह निकलेगा जो यहां रहता था। 

सारे बंदर हल्कू की बात सुनकर, खुशी से तालियां बजाने लगे और गुफा के अंदर धमा कुस्ती मचाने लगे। तभी उस गुफा के अंदर, मुंह में एक शिकार दबाए शेर आ गया। शेर को देखकर सारे बंदर, एक जगह इकट्ठा हो गए। 

शेर उन बंदरों से कहने लगा: अरे बेवकूफ बंदरों! तुम मेरी इस गुफा में क्या कर रहे हो? चलो अब जाओ यहां से, में शिकार करने के चक्कर में काफी थक गया हूं, अब मैं थोड़ा आराम करूंगा। 

फिर हल्कू बंदर बोलता है: अरे हम क्यों भागे यहां से, तुम भागो इस गुफा से, इस गुफा में तो अब हम रहेंगे। फिर शेर बोलता है: अबे उल्लू! गुफा में शेर रहा करते हैं, बंदर नहीं! बंदर तो पेड़ों में रहा करते हैं। 

There is a big tree in a forest

बहार बरगद का एक विशाल पेड़ है, तुम सब उस पेड़ पर जाकर रहो। फिर हल्कू बोलता है: देखो भाई शेर! हम बारिश के मौसम में पेड़ पर नहीं रहेंगे, अरे तुम क्यों नहीं उस पेड़ पर जाकर रह लेते! 

बंदर की बेवकूफी भरी बात सुनकर, शेर हंस पड़ा और कहने लगा: अरे बेवक़ूफ़ बंदर! कोई शेर पेड़ पर रहता है क्या! चलो चलो अब यहाँ से चले जाओ। 

फिर हल्कू बंदर बोला: अरे तुम निकलो यहां से! शेर को बंदरों की बहस पर गुस्सा आ गया और वह बंदरों की तरफ दहाड़ने लगा। जब सारे बंदरों ने शेर की दहाड़ सुनी तो थर-थर कांपने लगे और सारे बंदर गुफा से बाहर चले गए, फिर शहर अपना शिकार आराम से खाने लगा। 

There is a cave in a forest on a mountain

और आराम करने के लिए लेट गया। शेर की गुफा के बाहर कुछ ही दूर में, एक बरगद का पेड़ था। सारे बंदर उस पेड़ पर बैठकर, आपस में बातें करने लगे। 

एक बंदर ने कहा: हल्कू दादा! यह तो सरासर शेर की दादागिरी हुई, जो उसने हमें गुफा से बहार भगा दिया! ये सुन कर दूसरे बन्दर ने कहा: दादा अगर हमें पेड़ पर ही रहना होता, तो हम अपने जंगल में ही किसी पेड़ पर ना रह लेते! यहाँ पहाड़ पर क्यों आते?

हल्कू बन्दर: अरे तुम लोग परेशान क्यों होते हो? हम इस गुफा में ही रहेंगे। तीसरा बन्दर कहता है: कैसे रहेंगे दादा, गुफा में तो शेर रहता है, वह हमें वहां नहीं रहने देगा! हल्कू बन्दर बोलता है: अरे बेवकूफो! हम कई सारे हैं और शेर अकेला है, वह हमसे जीत नहीं पाएगा। 

हम सब उसको परेशान करेंगे, तो वह हमसे परेशान होकर गुफा से भाग जाएगा और फिर हम सब गुफा में रहने लगेंगे। सारे बंदर खुश होकर ताली बजाने लगे और हल्कू की तारीफ़ करने लगे। 

दूसरा बन्दर बोलता है: अरे क्या बात है दादा! आपके अक्लमंदी का तो कोई जवाब ही नहीं! क्या बढ़िया तरकीब बताई है आपने!

 फिर यह दिन भी गुज़र गया और अगला दिन हो गया। शेर अपनी गुफा से बाहर निकाला और अंगड़ाई तोड़कर, दहाड़ते हुए शेर शिकार करने के निकल गया। बंदरों का झुंड पेड़ पर बैठे हुए शेर की सारी हरकतें देख रहा था।

monkey on the tree in jungle

फिर हल्कू बन्दर बोला: देखो दोस्तों, जब शेर शिकार करके वापस लौटेगा और शिकार का मांस खाकर सो जाएगा, तब हम गुफा के अंदर जाएंगे और शेर को परेशान करके भाग आएंगे। 

फिर कुछ घंटे गुजर जाने के बाद, शेर शिकार करके वापस लौट आता है और अपनी गुफा में चला जाता है। पेड़ पर बैठे हुए बंदर शेर को वापस आता हुआ देख लेते हैं। शेर गुफा के अंदर चला जाता है अपने शिकार का मांस खाकर, आराम करने के लिए लेट जाता है। 

फिर बंदरों का झुंड खामोशी के साथ पेड़ से उतरकर, गुफा के पास आता है और बिना शोर किए, दबे पांव चलकर, गुफा के अंदर चला जाता है। 

गुफा के अंदर शेर आराम से सोया हुआ था, बंदर जाकर शेर को परेशान करने लगे। कोई शेर के ऊपर कूद रहा था, कोई शेर के पंजे में गुदगुदी करने लगा तो कोई शेर के पूंछ को मरोड़ रहा था। 

The lion is sleeping in a cave

शेर अचानक से आंखें खोलकर बंदरों को देखता है और तुरंत ही अपनी आंखें बंद करके करवट बदलकर, चित लेट जाता है। बंदर कुछ देर तक शेर को परेशान करते हैं, लेकिन शेर कोई हरकत नहीं करता, तो बंदर गुफा से बाहर चले जाते हैं। 

और अपने पेड़ पर आकर बैठ जाते हैं। यह सिलसिला कई दिनों तक लगातार चलता रहा। शेर जब आराम से सो जाता तो बंदर चुपके से गुफा में घुस जाते और शेर को खूब परेशान करते, लेकिन शेर कोई भी हरकत नहीं करता। और बंदर वापस अपने पेड़ पर बैठ जाते। 

एक दिन सारे बंदर आपस में बातें करने लगे, अरे हल्कू दादा! ये केसा शेर है! इसे परेशान करके हम खुद परेशान हो गए हैं, लेकिन वह जरा भी परेशान नहीं हो रहा है। दूसरा बन्दर : दादा! लगता है हमारी यह तरकीब फेल हो गई, दादा! आप कोई दूसरी तरकीब सोचिए, शेर को गुफा से भगाने के लिए।

फिर हल्कू बंदर बोलता है: अरे! अरे! मेरा तो दिमाग का दही हो गया इस शेर को भागते भागते, पता नहीं यह ससुरा परेशान क्यों नहीं हो रहा है! चलो कोई बात नहीं, मैं कोई और बढ़िया सी तरकीब सोचता हूं। 

और फिर दो दिन तक, बंदर नई तरकीब सोचते हैं, इसीलिए दो दिनों तक वह शेर को परेशान करने नहीं जा पाए। तो शेर सोचता है: नहीं वह बंदर, मुझे दो दिनों से परेशान करने क्यों नहीं आए! चलो चलकर उनिह से पूछ लेता हूं। 

फिर शेर गुफा से निकलकर, उस बरगद के पेड़ के पास आया और बंदरों से पूछने लगा: अरे बंदरों! तुम दो दिनों से मुझे परेशान करने नहीं आये, क्योँ क्या हुआ? फिर हल्कू बन्दर बोलता है: शेर महाराज! हम आपको परेशान करते-करते खुद परेशान हो चुके हैं! इसलिए हम आपको परेशान करने की कोई नई तरकीब में जुटे हैं। 

A lion is standing under a big tree in the forest

शेर बंदर की बात सुनकर हंसता है और कहता है: अरे बेवकूफो! जिस तरीके से तुम मुझे परेशान करते थे ना, उससे मैं परेशान होने की बजाय खुश होता था। क्योँकि तुम्हारे द्वारा मेरे शरीर को रोंधने से, मेरी सारी थकान उतर जाती थी, और मुझे बहुत मजा आता था। 

हल्कू बन्दर: हैं! अच्छा, तो इसी वजह से तुमने कभी किसी बंदर को, कोई नुकसान नहीं पहुंचा! फिर शेर बोलता है: हाँ! एहि बात है। वर्ण तुम बंदरों की क्या मजाल, जो तुम शेर के करीब भी भटक जाते। 

वैसे में तुम्हे एक खुशखबरी सुना दूं! हल्कू बन्दर: हैं! केसी खुशखबरी? जल्दी सुनाओ न! शेर: इस गुफा में रहते मुझे कई साल हो गए हैं, अब मैं इस गुफा से उकता चूका हूँ, इसलिए मैं इस गुफा को छोड़कर, जंगल में रहने के लिए जा रहा हूं, अगर तुम लोग चाहे तो मजे से इस गुफा में रह सकते हो!

झुंड का एक समझदार बंदर, शेर से कहने लगा: शेर महाराज! हम आपकी बात पर विश्वास कैसे करें? क्या पता हमें शिकार बनाने के लिए, यह आपकी कोई चाल हो! शेर: अरे नहीं बंदर भाई! मैं कोई चाल बाज़ी नहीं कर रहा। मैं बहुत शरीफ शेर हूं, मैं अगर तुम लोगों को शिकार बनना चाहता तो बोहत पहले ही बना चुका होता। 

मैं सचमुच यह गुफा छोड़कर जा रहा हूं। और शेर सचमुच ही वहां से, जंगल की ओर चला गया। फिर सारे बन्दर मिलकर शेर की गुफा की अच्छे से सफाई करते हैं, और आराम से गुफा में रहने लगते हैं। 

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