An Inspirational Story In Hindi में हम पढ़ेंगे एक जादुई पेड़ के बारे में। उस पेड़ के सामने जो कोई भी, कुछ भी सोचता तो वो इच्छा पूरा हो जाता है।
An Inspirational Story In Hindi
एक बड़ी छोटी सी कहानी है पुराने जमाने के घनघोर जंगल की, जिसके अंदर इच्छा को पूरा करने वाला पेड़ था। उस पेड़ के बारे में बहुत कम लोगों को पता था, क्योंकि उसे घनघोर जंगल में कोई जाता नहीं था।
एक ऐसा जंगल जहां सूरज की किरणें भी बहुत मुश्किल पहुंच पाती थी। एक बार एक कलाकार वहां से निकल रहा था, और उसे, उस पेड़ के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। अब सहयोग यह था कि इस पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुका।
अपने साथ घर से खाना लाया था, उसने खाना खाया और उसने सोचा की थोड़ी देर आराम कर लेता हूं, नींद ले लेता हूं, उसके बाद चल दूंगा। और जब वह सोया तो उसकी नींद इतनी लंबी रही की वो सीधा शाम में जगह।
तब तक आसपास अंधेरा हो चुका था! उसे लगा कि अब तो मुझे यहीं रात बितानी होगी, इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं। फिर उसको भूख लगा और उसके दिल में एक इच्छा जागृत हुआ कि कहीं से खाना मिल जाता तो मैं पेट भर कर खा लेता।
कमाल की बात यह हुई के उसके सामने पकवानों से भरी हुई एक थाली आ गई। उसे बहुत भूख लग रही थी इसलिए उसने ज्यादा सोचा नहीं, चुपचाप खाने लग गया और भरपेट उसने खाने का मजा लिया।
एक से बढ़कर एक पकवान थे। उसने खाना खा लिया तो उसके मन में एक और इच्छा हुयी की कहीं से कुछ पीने को मिल जाता। उसके सामने शरबत के दो बड़े-बड़े ग्लास आ गए। वह बहुत खुश हुआ और उसने वह शरबत भी पी ली। और यह नहीं सोचा कि यह कहां से आ रहा है!
उसके मन में एक और इच्छा हुयी कि जब इतना सब कुछ हो ही रहा है, तो कहीं से तकिया आ जाता सिरहाने लगा लेता! ऐसे पेड़ के यहां आराम करने में दिक्कत आ रही है। उसकी आंखों के सामने, कमाल ये हुआ के उसको तकिया सिरहाने लगी मिली।
सिरहाने रखने के बाद वह जब आराम के लिए लेटा, तो बस यह सोचने लगा, कि यह सब हुआ कैसे? उसके दिमाग ने अब काम करना शुरू किया। कि मैं सिर्फ सोचा तो खाना आया कैसे? शरबत आई कैसे? और तकिया आया कैसे? कहीं यहां पर कोई भूत तो नहीं है!
बस उसके मन में ये इच्छा की बात आई और सच में वहां भूत आ गया! जैसी उसने भूत को देखा तो उसके मन में पहले विचार यही आया की ” कहीं ये भूत मुझे खा न जाए! क्योंकि इसीलिए उसने मुझ तक शरबत पहुंचाई, खाना पहुंचा पकवान पहंचाया । ” बस उसने सोचा और भूत ने उसे खा लिया।
क्योँकि वो इच्छा को पूरा करने वाला पेड़ था, जो सोचो वैसा ही वहां पर होने लगता था। यह कहानी उस कलाकार कि, उस इच्छा को पूरा करने वाला पेड़ की, और उस जंगल की नहीं! बल्कि आपकी और हमारी है।
हमारा दिमाग इस दुनिया का सबसे बड़ा इच्छा को पूरा करने वाला पेड़ है! लेकिन कमाल की बात यह है कि हम हमेशा नेगेटिव सोचते हैं और वैसा ही घटने लगता है।
बारिश हो रही होती है और हम यह सोचते हैं की कहीं बीमार ना पड़ जाए और फिर बीमार पड़ जाते हैं। जब हमारा व्यापार शुरू करते हैं, बिजनेस शुरू करते हैं तो मन में थॉट आता है की कहीं घाटा ना हो जाये! घाटा ना हो जाये! घाटा भी होने लग जाता है।
नौकरी में जाते हैं तो सोचते हैं कहीं आज बॉस ना डांट दे, और बॉस डांटना भी लगता है। हम हमेशा उल्टा ही सोच रहे होते हैं! सोचते हैं की कहीं बच्चा ना गिर जाए, बच्चा गिर जाता है उसे लग जाती है।
जीवन में जैसा सोचेंगे यह इच्छाओं को पूरा करने वाला पेड़, जोकि आपका ब्रेन है। यह अवचेतन मन उनिह सारी चीजों को पूरा करने में जुड़ जाएगा, इसकी सारी शक्ति आपकी सोच को जागृत करने में उसको साकार करने में जुड़ जाएगी।
इसीलिए छोटी सी कहानी का सार यह कहता है: जैसा सोचोगे, वैसा पाओगे! इसलिए सोचना, पॉजिटिविटी के साथ शुरू कीजिए। वरना जीवन में आपका इच्छाओं को पूरा करने वाला पेड़, एक भूत को लेकर आएगा और वह भूत आपको खा जाएगा।
एक चूहा – Short Inspirational story in hindi
एक बड़ी छोटी सी मजेदार कहानी है, लेकिन बड़ी बात सिखाती है। ये कहानी है एक सेठ जी की! जिन्हें पक्षी पालने का, जानवर पालने का शौक था। उन्होंने घर में तोता रखा हुआ था, और उनके घर में मुर्गा था, और बकरी भी थी।
कहीं से उनके घर में एक चूहा आ गया था, बस वही समस्या की जड़ था। सेठानी इस बात से परेशान थी कि चूहा तो कपड़े कुतर देता है। दिवाली का त्यौहार था, सेठ जी जो है अपनी मैडम के लिए एक बढ़िया सी साड़ी लेकर आये।
और चूहे ने अपने आदत के मुताबिक अपना काम किया, उसने साड़ी में एक बड़ा सा छेद कर दिया। सेठानी ने जब अपनी नई साड़ी को देखा तो आग-बबूला हो गयी और सेठ से कहा की आप इस चूहे को पकड़िए।
सेठ जी ने शाम में ही चूहा-दानी लेकर आ गए। और वह जो चूहा था वह डरने लगा, घबराने लगा कि अब तो मैं इसमें कैद हो जाऊंगा और मुझे यहां से बाहर फेंक देंगे।
सब कुछ अच्छा चल रहा था सब बिगड़ जाएगा। वह चूहा गया तोते के पास और कहा मेरी मदद करो! उस तोते ने कहा “में तुम्हारी मदद क्यों करूं? ” चूहे ने कहा ” वह चूहा दानी आ गई है, वो मुझे पकड़ लेंगे! ”
तोते ने कहा ” मुझे इससे लेना-देना क्या! ” तोते से निराश होकर वह मुर्गी के पास गया और कहा मेरी मदद करो। फिर मुर्गी ने कहा ” भाई मुझे इससे लेना देना क्या! ” फिर वह चूहा बकरी के पास गया और बकरी ने भी वही का।
चूहा जो बेचारा वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करना है और मेरे साथ क्या होगा। सेठानी जी रात होने का इंतजार कर रही थी कि चूहा एक बार इस चूहे-दानी में फंस जाए। रात हुई तो एक आवाज आई सेठानी को लगा कि चूहा जो है चूहा दानी में फंस गया है।
और वह उठकर उसे चूहे-दानी के पास गई तो देखा कि उस चूहे-दानी में एक सांप फंसा हुआ है। जो चूहे को खाने आया था लेकिन उस जाल में वह खुद फंस गया और उस सांप ने सेठानी जी को डस लिया। सेठानी जी जोर से चिल्लाई! सेठ जी की आंख खुली तो जाकर के देखा की सेठानी जी को सांप ने डस लिया है।
तुरंत अस्पताल लेके गए तो डॉक्टर ने कहा सिर्फ एक ही तरीका है जिससे ये बच सकती है, सांप बहुत ज़ेहरीला था इनको। इनको अब तोते का सूप पिलाना पड़ेगा। अब इतनी जल्दी तोता कहां से मिले! तो सेठ जी को याद आया, घर में तोता है।
पसंदीदा है लेकिन क्या करें। फिर क्या? फिर तोते का सूप बनाया गया और सेठानी जी को पिलाया गया और उससे वह ठीक हो गई, चूहा यह सब देख रहा था। अब जब सेठानी जी रिकवर हो रही थी तो उनके घर रिश्तेदार आने लगे।
अब उन्हें क्या खिलाए! फिर सेठ जी को लगा की मुर्गी का ही, चिकन करी तैयार कर देते हैं। मुर्गी की बलि चढ़ा दी गई और वह कढ़ाई में पहुंच गया। थोड़े दिन बाद जब सेठानी जी बिल्कुल स्वस्थ हो गई तो सेठ जी ने सोचा एक बड़ी पार्टी रखते हैं और अबकी बार बकरे की बारी थी।
उसको भी कढ़ाई की भेट चढ़ा दिया गया। चूहा यह सब देख रहा था और सोच रहा था कि ” काश इन्होने मेरी उस दिन मदद कर दी होती, तो आज इतना बखेड़ा खड़ा नहीं होता। “
छोटी सी कहानी सिखाती है: कि जीवन में अगर साथ रहेंगे तो सब कुछ ठीक रहेगा। जैसा मैं कहता हूं कि कभी पेड़ काटने का किस्सा ना होता, अगर कुल्हाड़ी के पीछे वह लकड़ी का हिस्सा ना होता!
यूनिटी में सबसे बड़ी ताकत है, याद रखिए अपने सिर्फ तस्वीरों में नहीं बल्कि तकलीफों में भी साथ खड़े होते हैं।