यह Short Kids Story In Hindi है दो खरगोश की! इसमें से एक बड़ा भाई होता है और एक छोटा। जो छोटा होता है बहुत शरारत होता है और वह क्या शरारत करता है? चलिए पढ़ते हैं।
Short Kids Story In Hindi
एक जंगल में चंपक और हरी नाम के दो खरगोश रहते थे। हरि चंपक का बड़ा भाई था! हरी चंपा की बहुत चिंता करता था। क्योंकि चंपक हमेशा जंगल में बहुत शरारत करता! वो कभी भी अपने बड़े भाई का कहना नहीं मानता था।
एक दिन की बात है, जंगल में तेज बारिश हो रही थी। चंपक हमेशा की तरह खेलने के लिए निकल ही रहा था तभी उसके भाई हरी ने उसके तरफ देखकर कहा की ” चंपक! आज खेलने मत जाओ, सुबह से बारिश हो रही है और अभी तक नहीं रुकी। “
मुझे डर है कि जंगल में कहीं बाढ़ न जाए। चंपक बोला: अरे भैया! बस कुछ ही देर की बात है, मैं खेल कर आ जाऊंगा। हरी: तुम बहुत छोटे हो! इसी वजह से मुझे तुम्हारी चिंता होती है।
माता-पिता के बाद परिवार में अब सिर्फ तुम ही मेरे हो। जब तुम बड़े हो जाना तब तुम जितनी मर्जी चाहे उतनी देर घर से बाहर खेलना और मैं तुम्हें मना नहीं करूंगा। चंपक बोला: अरे हरी भइया!अब तुम इमोशनल बातें करके मेरा मूड मत खराब करो।
हरी: मेरे बात को समझो चंपक! मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूं, तुम्हे मेरी बातें माननी चाहिए। चंपक बोला: हां हां ठीक है! बड़े भाई हो, बड़े भाई की तरह रहो। मेरे पिता बनने की कोशिश मत करो।
हरी ने चंपक को बहुत समझाने की कोशिश की, मगर चंपक नहीं माना। और अपनी आदत के मुताबिक बारिश में ही, अपने घर से निकल गया। चंपक सीधा अपने दोस्त मोंटी हाथी के पास पहुंचा।
मोंटी हाथी बहुत छोटा हाथी था और चंपक की उससे बहुत गहरी दोस्ती थी। चंपक: चलो मोंटी इस बारिश का मजा लेते हैं! खेलते हैं। मोंटी: तुम्हें घर रहना चाहिए, मुझे मेरे माता-पिता ने आज घर से निकलने के लिए मना कर रखा है।
क्योंकि बारिश सुबह से हो रही है, उनका कहना है कि अगर ऐसी बारिश होती रही तो कहीं जंगल में बाढ़ न जाए। इसीलिए हमें अपने परिवार के साथ ही रहना चाहिए। तुम यह क्या बात कर रहे हो मोंटी! मेरा बड़ा भाई भी कुछ इसी तरह की बात कर रहा था।
मोंटी: तुम्हें अपने बड़े भाई का कहना मानना चाहिए। चंपक: मोंटी अगर तुम्हें नहीं खेलना तो मना कर दो! पर मेरे बड़े भाई की तरफदारी करना बंद करो। मोंटी: ऐसा नहीं करते चंपक! तुम्हारा बड़ा भाई हरि तुमसे बहुत प्यार करता है।
वह तुम्हारी बहुत चिंता करता है। मुझे माफ करना, पर मैं आज तुम्हारे साथ खेलने नहीं जा सकता। मोंटी की बात सुनकर चंपक गुस्सा हो गया! और गुस्से के हालात में मोंटी से बोला: ठीक है! मैं खुद अकेले ही खेलूंगा, पर मैं किसी भी कीमत पर अपनी बड़े भाई की बात नहीं मानूंगा।
इतना बोलकर चंपक वहां से चला गया। अकेले खेलते-खेलते चंपक जंगल से काफी दूर निकल आया था। तभी बारिश और ज्यादा तेज हो गई। चंपक तेज बारिश की बूंदे को देखकर बहुत घबरा गया। तभी चंपक को जंगल से बहुत सारे जानवर, भागते हुए दिखाइ दिए।
सभी जंगली जानवरों को देखकर चंपक पूरी तरह से घबरा गया। वह जल्दी से दौड़ता हुआ, भालू दादा के पास पहुंचा। और बोला: क्या हुआ भालू दादा? सब जंगल से भाग क्यों रहे हैं।
भालू दादा: अरे क्या तुम्हें पता नहीं चंपक! जंगल में पानी भरने लगा है, सभी जानवर बाढ़ से बचने के लिए भाग रहे हैं। इतना कह कर भालू दादा भी वहां से चले गए। चंपक और घबरा गया, तभी उसकी नजर अपने दोस्त मोंटी पर पड़ी।
जो अपने माता-पिता के साथ था। चंपक तुरंत दौड़ता हुआ मोंटी के पास पहुंचा और कहा: हरि कहां है? मोंटी: उसने आने से साफ इनकार कर दिया! मोंटी की बात सुनकर चंपक के माथे पर, चिंता की लकीरें झलकने लगी।
चंपक रात से सुबह तक हरि का इंतजार करता रहा, मगर हरि नहीं आया। अगले दिन बारिश रुक गई और सभी जानवर अपने-अपने घर में चले गए। चंपक जल्दी से दौड़ता हुआ अपने घर की ओर गया।
मगर उसने देखा की उसका भाई हरि, घर के दरवाजे पर मरा हुआ पड़ा था। दरअसल हरी चंपक को पूरे जंगल में ढूंढता रहा, थक-हार कर वह चंपक का इंतजार करते-करते दरवाजे पर ही बैठ गया।
पानी का लेवल बहुत ज्यादा पड़ गया था और हरी की डूबने की वजह से मौत हो गई। मगर हरि ने आखिरी सांस तक, अपने छोटे भाई चंपा के आने का इंतजार किया। आज भी चंपक अपने भाई को याद करके, रोता रहता है।
चालाक मुर्गा – Short Kids Story In Hindi
बहुत दिनों पुरानी बात है, एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। वह इतनी चालाक थी कि अपने शिकार और भोजन के लिए पहले तो वह जानवरों से दोस्ती करती। और फिर मौका पाते ही उन्हें मार कर, दावत उड़ाती।
उस लोमड़ी की इसी आदत की वजह से, उससे सभी दूर रहते थे। एक दिन उसे कहीं भोजन नहीं मिला, तो वह दूर तक शिकार की तलाश में निकल गई। उसकी नजर एक तंदुरुस्त मुर्गी पर पड़ी।
वह मुर्गा पेड़ पर चढ़ा हुआ था और लोमड़ी मुर्गे को देखकर सोचने लगी ” कितना बड़ा और तंदुरुस्त मुर्गा है! हाय! ये मेरे हाथ लग जाए। तो कितना स्वादिष्ट भोजन मिलेगा मुझे। ” अब लोमड़ी का लालच बढ़ चुका था।
वह रोज उस मुर्गे को देखती और उसके उतरने का इंतजार करती। लेकिन वह मुर्गा पेड़ पर ही चढ़ा रहता और लोमड़ी के हाथ नहीं आता। बहुत दिनों के बाद लोमड़ी सोचने लगी ” यह मुर्गा ऐसे हाथ नहीं आएगा! लगता है कुछ तरकीब सोचनी होगी। “
इसलिए उसने धोखा और चालाकी करने का सोचा। किसी मुर्गे के पास गई और कहने लगी ” प्यारे मुर्गी भाई! क्या तुम्हें यह बात पता चली की खुशखबरी मिली है सबको जंगल में? ” मुर्गे ने पूछा ” खुशखबरी! केसी खुशखबरी? “
लोमड़ी बोली ” आकाशवाणी हुई है और खुद भगवान ने कहा है की अब से इस जंगल के सारे लड़ाई झगड़ा खत्म! अब कोई जानवर दूसरे किसी भी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। “
और ना ही मार कर खाएगा, सब मिलजुल कर, हंसी-खुशी से इस जंगल में रहेंगे। एक दूसरे की सहायता करेंगे और कोई किसी पर हमला नहीं करेगा। मुर्गा होशियार था! वह समझ गया कहीं ना कहीं यह लोमड़ी झूठ बोल रही है।
इसलिए मुर्गी ने उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दियाऔर कहा ” अच्छी बात है! पर मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ” लोमड़ी, मुर्गे की ऐसी ठंडी रिएक्शन देखकर फिर बोली ” मेरे भाई! इसी बात पर नीचे तो आओ, हम दोनों गले लगा कर, एक दूसरे को बधाई देंगे। “
मुर्गा अब लोमड़ी की चालाकी समझ चुका था। इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला ” ठीक है! लेकिन मेरी प्यारी सी लोमड़ी बहना! तुम पहले अपने उन दोस्तों से तो गले मिलकर बधाई ले लो जो इसी तरफ खुशी से दौड़े चले आ रहे हैं। मुझे पेड़ से दिख रहा है वह। “
लोमड़ी ने हैरान होकर पूछा ” मुर्गी भाई! मेरे कौन से दोस्त? ” मुर्गे ने कहा ” अरे बहन वो शिकारी कुत्ते! वह भी हमारे दोस्त है ना, वह भी शायद तुम्हें बधाई देने के लिए ही इधरआ रहे हैं। “
शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही, लोमड़ी थर-थर कांपने लगी और पूरी तरह डर गई। क्योंकि उसे लगा कि अब अगर वह थोड़ी देर भी यहां रुकी, यह मुर्गा भले ही उसका शिकार बने या ना बने, लेकिन वह खुद इन शिकारी कुत्तों का शिकार जरूर बन जाएगी।
इसलिए उसने अपनी जान बचाना ही भला समझा और वहां से दुम दबाकर भाग गई। भागते वक्त लोमड़ी को मुर्गी ने हंसते हुए कहा ” अरे बहन! कहां भाग रही हो? अब तो हम सब दोस्त हैं। फिर डर किस बात का? ”
लोमड़ी: मुर्गी भाई! दोस्त हैं लेकिन शायद शिकारी कुत्तों को अब तक यह खबर नहीं मिली। यह कहते हुए, लोमड़ी वहां से जंगल में गायब हो गई।
इस कहानी से हमें यह समझ आता है: कि धूर्त और चालाक लोगों से हमेशा सतर्क व सावधान रहना चाहिए! एक और चतुराई से काम लेना चाहिए।